अल्मोड़ा, 23 अप्रैल 2021- भारत में शिक्षा अधिकार आंदोलन के स्तम्भ आम्ब्रीश राय (Ambarish Rai) का निधन हो गया है। शुक्रवार की सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। दो तीन दिन पूर्व ही वह दो तीन दिन पहले बुखार और गले में तकलीफ की समस्या के चलते अस्पताल भर्ती हुए थे।
जानकारी के मुताबिक उनकी कोरोना जाच रिपोर्ट अभी आनी बाकी थी। उनके निधन से सामाजिक क्षेत्रों, शैक्षिक विमर्श मंचो व सामाजिक आंदोलनों के बीच एक रिक्तता सी आ गई है। आम्ब्रीश राय (Ambarish Rai) आरटीआई फोरम के राष्ट्रीय संयोजक थे।
वह हमेशा समान, सुमग और भेदभाव रहित शिक्षा की सर्वसुलभता के पैरोकार रहे। उन्होंने उत्तराखंड में भी शिक्षा के अधिकार को लेकर हर मंच पर एक सकारात्मक मददगार की भूमिका निभाई। सोशल मीडिया में भी उनके निधन पर सामाजिक और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
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इधर उत्तराखंड आरटीई फोरम के संयोजक रघु तिवारी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक जताया है उन्होंने ने कहा कि शिक्षा आंदोलन के मजबूत स्तंभ रहे आम्ब्रीश राय (Ambarish Rai) के निधन से इस क्षेत्र में अपूर्णनीय रिक्तता सी आ गई है।
सोशल मीडिया में लिखे शोक संदेश में उन्होंने कहा है कि ——
“श्रद्धांजलि
भारत में शिक्षा अधिकार आंदोलन के स्तम्भ आम्ब्रीश राय (Ambarish Rai) आज सुबह हमें छोड़ कर चलें गए। दो तीन दिन पहले बुखार और गले में तकलीफ् से अस्पताल भर्ती हुए थे। करोना जाच रिपोर्ट अभी आनी बाकी थी। साथी अमबरीश् का जाना शिक्षा आंदोलन को बड़ा नुकसान है साथी अंतिम सलाम।”
नवल किशोर सोनी ने लिखा है
“Ambarish Rai दुःखद खबर! हमारे मित्र एवं साथी श्री अम्बरीश राय (Ambarish Rai), राष्ट्रीय संयोजक, RTE फोरम, नई दिल्ली का अचानक निधन हो गया. अम्बरीश जी “शिक्षा का लोकव्यापी करण और मौजूदा संकट” विषय पर live आए थे शैक्षिक सरोकार मंच, भारत पर हमारे साथ। अभी कहने के लिए कोई शब्द नहीं है परन्तु शिक्षा के अधिकार के लिए उनके द्वारा किये गए संघर्ष तथा सभी को साथ लेकर चलने के कौशल को हमेशा याद रखा जायेगा. यह एक व्यक्तिगत क्षति है जिसे भर पाना मुश्किल है. आपके प्रयास और आपको कभी भूल नहीं पाएंगे अम्बरीश “
रचना अग्रवाल ने लिखा है-
“Ambarish Rai भी चले गए, जाने ये कैसा बुरा समय आ गया है एक के बाद एक बुरी खबर ही मिल रही है…
अंतिम प्रणाम अम्बरीष जी…”
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उर्मिलेश ने लिखा है-
“उफ्फ़, ये कैसा वक़्त है भाई ! वक़्त की ऐसी बेलगाम खूनी रफ़्तार हममें किसी ने भी नहीं देखी! देखने की बात छोड़िये, हमने इतने बुरे दिनों की कभी कल्पना भी नही की. भाई Ambarish Rai के जाने की इस दुखद खबर मिलने के साथ ही मेरे शरीर में अचानक कम्पन होने लगा! अजीब तरह की सिहरन! स्तब्ध हूं!
शिक्षा का अधिकार मंच और उसके राष्ट्रव्यापी अभियान से उनके जुड़ने के पहले से मैं Ambarish जी को जानता था. वह छात्र-राजनीति से गैर-सरकारी सामाजिक संगठनों से जुड़े और हम पत्रकारिता के रास्ते चल पड़े. हम दो अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़े पर छात्र राजनीति में होने के चलते एक दूसरे के नाम से अच्छी तरह परिचित थे. हम जब पहली बार दिल्ली के किसी कार्यक्रम में मिले तो लगा कि काफी समय बाद मिल रहे हैं! ये बिल्कुल महसूस नहीं हुआ कि पहली बार मिल रहे हैं.
उनके बुलावे पर RTE से सम्बद्ध कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. उन्होने जब कभी आमंत्रित किया, विवादास्पद शिक्षा नीति पर विषयक कुछ कार्यक्रमों में गया. इसी तरह हमने जब भी याद किया, राज्यसभा टीवी के हमारे कार्यकाल में वह कई बार हम लोगों के कार्यक्रमों में आते रहे. शिक्षा या शिक्षा नीति से जुड़े विषयों पर जब कभी मुझे कुछ सूचना या ज्ञान की आवश्यकता होती, मैं जिन तीन-चार लोगों के फोन खड़काता, आम्ब्रीश राय (Ambarish Rai) उनमें प्रमुख थे.
बेहद दुखद! 23 अप्रैल की यह सुबह बहुत उदास और बहुत खराब है! कुछ समझ में नहीं आ रहा है, क्या होगा, हमारे समाज का, हमारे देश का और हम सबका?
सलाम और श्रद्धांजलि, दोस्त!
परिवार के प्रति शोक-संवेदना!”
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