विज्ञान से जुड़ी पुस्तकों से लेकर उपन्यासों पर रखे पाठकों ने अपने विचार

उत्तरा न्यूज टीम
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पिथौरागढ़। ‘आरंभ स्टडी सर्कल’ ने पिथौरागढ़ के टकाना रामलीला मैदान में जनवरी माह की पुस्तक परिचर्चा का आयोजन किया। यह इस वर्ष की पहली और पाठक केंद्रित आयोजन की 32वीं पुस्तक परिचर्चा थी।

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आयोजन में महविद्यालय के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी, पत्रकार, शिक्षक, साहित्यकार, व्यापारी समेत विभिन्न आयु वर्ग के पाठक शामिल रहे। इस दौरान उपस्थित पाठकों ने तक़रीबन 20 किताबों पर अपनी पाठकीय टिप्पणी साझा की। इसमें विज्ञान से जुड़ी किताबों से लेकर उपन्यास तक शामिल थे।

जिन किताबों पर पाठकों ने बात रखी उनमें अमर्त्य सेन की ‘आइडेंटिटी एंड वायलेंस’, रे ब्रैडबरी की ‘फारेनहाइट 451’, मुंतज़िर फिरोजाबादी की ‘जॉन एलिया: एक अजब गजब शायर’, मानोबी बंधोपाध्याय की पुरुष तन में फंसा मेरा नारी मन, सिद्धार्थ मुखर्जी की ‘द एंपरर ऑफ आल मैलेडीज: अ बायोग्राफी ऑफ कैंसर’, लवली गोस्वामी की ‘प्राचीन भारत में मातृसत्ता और यौनिकता’,

त्रेपन सिंह चौहान की ‘हे ब्वारी’, रवीश कुमार की ‘इश्क़ में शहर होना’, भंवर मेघवंशी की ‘मैं एक कारसेवक था’, जे सुशील की ‘जे एन यू अनंत, कथा अनंता’, लाल बहादुर वर्मा की ‘मई अड़सठ पेरिस’, विनीता अस्थाना की ‘बेहया’, रणेंद्र की ‘ग्लोबल गाँव के देवता’, निर्मल वर्मा की ‘एक चिथडा सुख’ और नवीन जोशी की ‘टिकटशुदा रुक्का’ आदि शामिल रही।

आरंभ स्टडी सर्कल के दीपक ने बताया कि पिछले 5 साल से जारी इस आयोजन ने युवाओं में पढ़ने की आदत को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। हर बार आयोजन में नए पाठकों का आना यह बताता है कि पिथौरागढ़ में युवाओं का एक वर्ग किताबों से जुड़ रहा है और अपने आसपास की दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा है।

कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए दीपक ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों पर पुस्तकों के बारे में चर्चा कर लोगों में पढ़ने के प्रति रुचि जागृत करना है। साथ ही, समान रुचियों वाले पाठकों का एक समुदाय भी ऐसे कार्यक्रमों से विकसित करना है।

कार्यक्रम के अंत में पाठकों ने पढ़ने के लिए ‘बुक क्लब’ की किताबें भी पसंद की। इस अवसर पर ‘कहानी संग्रह’ प्रदर्शनी भी लगायी गयी जिसमें 100 से अधिक कहानी संग्रह शामिल थे।

कार्यक्रम का संचालन अभिषेक ने किया। आयोजन में विकास, प्रज्ञा, प्रतीक, बबीता, निर्मल, गार्गी, भूमिका, सैंडी, रजत, स्नेहा, एकता, शीतल, ललित, मोहित, महेंद्र, चिंतामणि जोशी, भगवती प्रसाद पांडेय समेत अनेकों पुस्तक प्रेमी मौजूद रहे।

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