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pithoragarh- कलाकारों ने प्रस्तुत किये लोक रंग के विविध रूप

Newsdesk Uttranews
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पिथौरागढ़। लोक संस्कृति पर आधारित प्रस्तुति परक कार्यशालाओं के तहत लोक रंग के विभिन्न कार्यक्रमों का समापन हो गया। कनालीछीना विकासखंड के देवलथल में विगत दिवस हुए समापन कार्यक्रम में झोड़ा-चांचरी, छलिया नृत्य, छपेली तथा अन्य लोक नृत्य और गीतों की शानदार प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रमों का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी मौजूद रहे।

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हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के विकास और संरक्षण के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय की ओर से सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में पर्वतीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कला समिति जिसे नवोदय पर्वतीय कला केंद्र के नाम से भी जाना जाता है, को दायित्व दिया गया।

समिति ने बीती 1 अक्टूबर से लोक नृत्य-संगीत और वाद्य यंत्रों पर लोक कलाकारों की प्रशिक्षण कार्यशाला की शुरूआत की। इसके बाद तीन विकास खंडों विण, मूनाकोट और कनालीछीना की विभिन्न ग्राम पंचायतों साप्ताहिक कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।

कार्यशालाओं के दौरान मुख्यत : आंचलिक लोक संस्कृति पर आधारित सोरियाली लोक नृत्य, छलिया नृत्य, झोड़ा चांचरी, छपेली, हुड़का लोक नृत्य, लोक गीत- फाग, शगुन आंखर, न्यौलि, खेल और कृषि लोक गीत तथा वाद्ययंत्र ढोल, दैन, दमुवां, तुरी नरसिंह, मुरली व भकौर के साथ रंग-रोगन और वेशभूषा पर प्रतिभागी बालक-बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया। 30 दिवसीय प्रस्तुति परक कार्यशाला से चयनित कलाकारों ने समापन अवसर पर देवलथल क्षेत्र में कार्यक्रमों का रंगारंग और मनमोहक मंचन किया।

कार्यक्रम के अतिथियों ने आयोजन की सराहना करते हुए भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों और आवश्यकताओं पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए कार्यदायी संस्था और संस्कृति मंत्रालय का आभार जताया कि लोक संस्कृति के विविध रूपों को एक साथ मंच पर प्रस्तुत कर लोगों को जागरूक और प्रेरित करने का काम किया है।

इस अवसर पर रामलीला कमेटी देवलथल के अध्यक्ष जगत सिंह कन्याल, शंकर सिंह सामंत, संस्था के निदेशक हेमराज सिंह बिष्ट, क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता युवराज सामंत, ग्राम लोहाकोट के प्रधान महेंद्र सिंह सामंत, उड़ाई के प्रधान गोविंद सिंह, थालगांव के प्रधान प्रदीप बसेड़ा, भूपाल सिंह सिरौला, रमेश लाल सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। संचालन संस्था के उप संयोजक सेनि. कैप्टन दिवान सिंह वल्दिया ने किया।