फिजियोथेरेपी में है कई लाइलाॅज बीमारियों का इलाज

उत्तरा न्यूज डेस्क
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क्या है फिजियोथेरेपी

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आज के दौर में फिजियोथेरेपिस्ट की काफी मांग है, लगभग हर बड़े अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट होना आम बात हो गयी है। व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय कर दिये जाने वाले इलाज की विधा भौतिक चिकित्सा, फिजियोथेरेपी या ‘फिजिकल थेरेपी‘ कहलाती है। चूंकि इसमें दवाइयां नहीं लेनी पड़ती इसलिए इससे दुष्प्रभाव नही होते है। फिजियोथेरेपी का तब ही असर दिखता है जब फिजियोथेरेपी नियमित रूप से करायी जाए। भौतिक चिकित्सा या फिजियोथेरेपी भौतिक साधनों का उपयोग करके चोट या बीमारियों का निदान और उपचार करने का विज्ञान है, जो लोगो की शारीरिक शक्ति, कार्य, गति और समग्र सुख को बहाल, रखरखाव और अधिकतम करने में मदद करती है। भौतिक चिकित्सा प्रदान करने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों को फिजियोथेरेपिस्ट कहा जाता है।

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फिजियोथेरेपी में अति आधुनिक मशीनों द्वारा मांसपेशियों को सक्रिय किया जाता हैै, फिजियोथेरेपी से शरीर मे खून का सही प्रकार से संचार किया जाता है और गतिशीलता प्रदान की जाती हैै। फिजियोथेरेपी से निम्न रोगों में लाभ पहुचता है। कंधा जाम – कंधा जाम ऐसी समस्या है जिसमें कंधे की मांसपेशिया टाइट हो जाती है और असहनीय दर्द होने लगता है, फिजियोथेरेपी चिकित्सा से दर्द कम कर उचित व्यायाम की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है। डाइबिटीज के मरीजों मे यह समस्या ज्यादा होती है।
एड़ी के दर्द, कलाई का दर्द, कोहनी के दर्द एंव कंधे के दर्द के लिए इलैैक्टोªथेरेपी व एक्ससाइज थेरेपी से सफल उपचार किया सकता है। जो कि निन्मवत है।
1) पुराने कमर दर्द के रोगियो के लिए विशेष मैन्युवल थैरेपी।
2) जन्मजात शारीरिक रूप से विकलांग बच्चो के लिए विशेष।
3) लकवाग्रस्त मरीजों के लिए विशेष फिजियोथेरेपी पैकेज।
4) प्लास्टर के उपरान्त होने वाली जोड़ो में जकड़न व विकृति का उपचार।
5) गर्दन दर्द एवं घुटनो के दर्द का फिजियोथेरेपी से हानिरहित उपचार।

स्ट्रोक- ब्लड पे्रशर हाई होने से स्ट्रोक का अटैक पड़ता है जिससे पैरालाइसिस, फेशियल पालसी जैसी दिक्क्त आ सकती है। समय पर फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट शुरू करके इन बीमारियों का सफल इलाज किया जा सकता है। मसल्स स्टूमलेटशन तथा चेहरे व पूरे शरीर की एक्ससाइज की इसमें मुख्य भूमिका होती है।
फ्रेक्चर के बाद- दर्द और सूजन को फिजियोथैरेपी के माध्यम से बिना दवा के ठीक किया जा सकता है। इसमें ज्वाइंट मोबालाइजेशन और एक्सपर्ट एक्सरसाइज से मांसपेशियों और लिगामेंट को मजबूत बनाया जाता है।

गर्भावस्था में स्त्री रोगों में भी फिजियोथेरेपी दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को अलग-अलग व्यायाम कराये जाते है जिससे डिलीवरी में प्राॅब्लम ना हो। अक्सर डिलीवरी के बाद मोटापा घटाने और लूज मसल्स को वापस कसाव देने के लिए भी फिजियोथेरेपी जरूरी होती है। सैरिवल पालसी/डीलेड माइलस्टोन, बच्चों में जन्म के समय अथवा पैदा होने के बाद,तेज बुखार, पीलिया, इन्फेक्शन आदि के कारण यह समस्यायें उत्पन्न होती हैं, जिसमें बच्चों में शारीरिक एंव मानसिक कमजोरी आ सकती है, सही समय पर फिजियोथेरेपी उपचार कराने से इन प्राब्लम को बढ़ने से रोका जा सकता है और बच्चे को सही जीवन दिया जा सकता हैै।

फिजियोथेरेपी क्यों करानी चाहिए

यदि आप बिल्कुल स्वस्थ्य हैं तो भी आप फिजियोथेरेपी ले सकते हैं क्योेंकि इससे आपको किसी भी तरह का नुकसान नही होता है। यह हमारे शरीर को बहुत फायदा पहंुचाती है और यदि हम इसको निरंतर लेते रहते हैं तो हम एक लंबे समय तक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते है इससे हमें बहुत फायदा मिलता है और यह हमें बहुत सी बीमारियों से बचाता है और बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि हमें दूसरी बीमारी है और हम उनकी दवाइयां ले रहे है या आप किसी दूसरी तरह का उपचार उन बीमारियों के लिये करवा रहे है तो यह लेना हमारे लिए अनिवार्य नही होगा और अगर हम इसको लेते है तो इसके दुष्परिणाम हो सकते है। लेकिन ऐसा कुछ भी नही है यदि आपको किसी भी तरह की कोई बीमारी है और उसके उपचार के लिए आप किसी भी तरह की दूसरी दवाइयां या किसी भी तरह का दूसरा उपचार करवा रहे है तो आप उसके साथ यह ले सकते है। इसका आपको किसी भी तरह का नुकसान नही होगा, बल्कि आपको उस बीमारी में बहुत फायदा करेगी। इसकी किसी भी तरह का कोई भी नुकसान हमारे शरीर को नही पहुंचता है और आप दूसरे उपचार के साथ इसको भी लगातार ले सकते है। यह आपको उस बीमारी को रोकने में भी मदद करेगी। उसके साथ उत्पन्न होने वाली दूसरी बीमारियों को भी दूर करती है। आज के समय में लोग दवाइयों की ओर ध्यान को कम केन्द्रित करते है और दूसरी चीजें जैसे फिजियोथेरेपिस्ट योग इत्यादि की ओर ज्यादा ध्यान देते है। क्योंकि उनसे ना तो किसी भी तरह का ज्यादा खर्च होता है और ना ही आपको किसी भी तरह की दवाइयों के लिए हाॅस्पिटल आदि के चक्कर लगाने पड़ते है।

यदि आप लगातार फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल कर रहे है तो आपको बहुत सी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इससे आपको बहुत सी चीजों में फायदा मिलता है। जैसे पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द, घुटनों का दर्द, मानसिक तनाव, किसी भी तरह की खेलों में लगी चोट, महिलाओं की चोट, बुजुर्गो की चोट, बुजुर्गो की सामान्य बीमारी, बच्चों की बीमारियां या किसी भी बच्चे का संतुलन ना बन पाना जैसी समस्याओं को बहुत ही आसानी से दूर करती है। भौतिक चिकित्सकों को शल्य-क्रिया पश्चात् अस्थि-रोग प्रक्रियाओं, हड्डी टूटना, गंभीर खेल चोटों, गठिया, मोच, तनाव, पीठ और गर्दन दर्द, रीढ़ की स्थिति एंव अंगच्छेदन आदि के उपचार में प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अलावा जोड़ व रीढ़ की गतिशीलता एंव उपचार, उपचारात्मक व्यायाम, न्यूरो-मस्कुलर सुधार, ठंडी-गर्म पट्टी द्वारा मांसपेषियों का उद्यीपन जैसे क्रायोथेरैपी, आयेंटोफोरैसिस, इलेक्ट्रोथेरेपी, एक्सरसाइज आदि तरीके अक्सर स्वास्थ्य लाभ की गति बढ़ने के लिए उपयोग किये जाते हैं।

यदि आप लगातार फिजियोथेरेपी लेेते रहते हैं तो इससे आपकी मांसपेशियां भी मजबूत होती है और आपको थकावट का अनुभव भी कम होता है और यह आपके शरीर को मजबूत बनाती है और हड्डियों को भी मजबूत बनाती है और इसके बहुत फायदे आपको मिलते हैं। इससे आपको शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से फायदेे मिलते है। यदि कोई बुजुर्ग अपना संतुलन बना पाने में सक्षम नही है या आपके घर में कोई बच्चा है। जिसके हाथ पैर अच्छे से विकसित नहीं हो रहे हैं तो आपको फिजियोथेरेपिस्ट से तुरंत ही मिलना चाहिए।

फिजियोथेरेपी कौन-कौन ले सकते है।

फिजियोथेरेपी आप किसी भी उम्र में और किसी भी तरह से ले सकते है। यह आपके लिए जरूरी नहीं है कि आप अभी छोटे है तो आपको फिजियोथेरेपी नहीं लेनी चाहिए और ना ही आपको यह सोचना चाहिए कि यह हमें ज्यादा उम्र के होने के बाद नहीं लेनी चाहिए। आप बचपन से लेकर किसी भी उम्र तक इसको ले सकते हैं और इसमें बच्चें, महिलाएं, लड़के, लड़कियां, बुढ़े सभी तरह के आदमी फिजियोथेरेपी को ले सकते है।

नोट- यह सूचना मात्र सामान्य जानकारी के लिए है। अधिक जानकारी के लिए विषय विशेषज्ञ से राय अवश्य लें।

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