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बड़ीखबर:-पंचायती राज संशोधन एक्ट हुआ लागू, एक्ट की अधिसूचना हुई जारी, आरक्षण प्रक्रिया हुई आरंभ, नियमावली नई रहेगी या पुरानी कब तक होगें चुनाव? पढें. पूरी खबर

उत्तरा न्यूज डेस्क
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डेस्क:- उत्तराखंड में पंचायत राज संशोधन एक्ट 2019 लागू हो गया है, राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार के पंचायती राजविभाग ने इस एक्ट को शामिल कर लिया है|
हालांकि संशोधित एक्ट की नियमावली नहीं बन पाने के चलते माना जा रहा है कि इस बार के पंचायत चुनाव पुरानी नियमावली के आधार पर ही कराए जाएंगे। सरकार ने न्याय विभाग से परामर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है। इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
हाइकोर्ट के आदेशों के बाद तेजी दिखा रही सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी सूचित कर दिया गया है। इसी के साथ त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया मंगलवार यानी आज से शुरू होने जा रही है। इसमें करीब एक महीने का समय लग जाएगा। 
हाईकोर्ट में दिए गए शपथपत्र में सरकार ने चार महीने के भीतर पंचायत चुनाव कराने की बात कही है। हालांकि चुनाव का कार्यक्रम तब ही प्रस्तावित किया जा सकेगा, जबकि त्रिस्तरीय पंचायतों का आरक्षण तय हो जाएगा।
पंचायत राज संशोधन एक्ट 2019 में चुनाव कराने को लेकर कुछ संशोधन किए गए हैं। नए संशोधन के अनुसार, नियमावली बनाए जाने की व्यवस्था है, लेकिन इसमें लगने वाले समय को देखते हुए सरकार ने न्याय विभाग से परामर्श किया। सरकार यह जानना चाहती थी कि क्या एक्ट में संशोधन के बावजूद पुरानी नियमावली से चुनाव कराए जा सकते हैं। न्याय विभाग ने इसका परीक्षण करने के बाद अपनी सहमति दे दी है।
अब पुरानी नियमावली पर ही चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया गया है। बताते चलें कि की राज्य में13 जिला पंचायत, 95 क्षेत्र पंचायत और
7797 ग्राम पंचायतें हैं| हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में पंचायती चुनाव कराने की तैयारी चल रही है|
पंचायत राज संशोधन एक्ट 2019 की सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी गई। अधिसूचना के बाद पंचायत चुनाव में दो बच्चों वाले ही उम्मीदवारी कर पाएंगे। इसके अलावा, विभिन्न पदों के लिए शैक्षिक योग्यता भी तय कर दी गई है।
इस संशोधित एक्ट की खास बात यह थी कि इसमें कोई भी दावेदार दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत चुनाव में भाग लेने के अयोग्य होगा, हालांकि ग्रेस पीरियड न होने की वजह से इसका विरोध हो रहा है।सामान्य महिला के अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति के उम्मीदवार का आठवीं पास होना जरूरी होगा, जबकि अन्य का दसवीं पास होना अनिवार्य होगा।उपप्रधान ग्राम पंचायत के सदस्यों से ही निर्वाचित होंगे, उन्हें हटाने के लिए भी वो ही प्रक्रिया लागू रहेगी, जो कि ग्राम प्रधानों के संबंध में निर्धारित की गई है।ग्राम प्रधान के पद को अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सकेगा। इससे पहले की व्यवस्था में बहुत कुछ साफ नहीं था। जानकारी के अनुसार आरक्षण की प्रक्रिया एक माह में पूरी हो जाएगी|

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