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ओजोन परत की सुरक्षा पर पर्यावरण संस्थान अल्मोडा में मंथन

Newsdesk Uttranews
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ozone day celebration by envis center gbpihed

अल्मोडा। लगातार बढ़ते प्रदूषण, जहरीली गैसों का वायुमण्डल में रिसाव, वृक्षों का अत्यधिक कटाव आदि जहां एक ओर पृथ्वी का तापमान निरन्तर वृद्धि कर रहा है वहीं दूसरी ओर सूर्य से निकलने वाली पराबैगंनी किरणों से पृथ्वी के रक्षा कवच ओजोन परत को भारी नुकसान होता है। यह दिन प्रतिदिन एक बड़ी समस्या को जन्म दे रही है इस समस्या के निवारण के लिए ओजोन परत की सुरक्षा को लेकर सन् 1987 में विश्व के 125 से भी अधिक देशों के द्वारा हस्ताक्षर किये गये तब से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 16 सितम्बर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में घोषित कर दिया तभी से इस दिन ओजोन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोडा के इनविस केन्द्र एवं जवाहर नवोदय विद्यालय ताड़ीखेंत, रानीखेत तथा निकटवर्ती विद्यालयों द्वारा विश्व ओजोन दिवस मनया गया। इस दिवस की जागरूकता हेतु इनविस केन्द्र द्वारा ओजोन दिवस के विषय- जीवन के लिए ओजोनः 35 वर्षों का ओजोन परत संरक्षण पर ऑन लाइन एक कलर प्रतियोगिता करायी गयी, जिसमें देश भर के विभिन्न विद्यालयों के कक्षा पांच से आठवीं तक के छात्रोंं द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं उनके द्वारा विभिन्न प्रकार के चित्रों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति हो व्यक्त किया गया।

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इस उपलक्ष्य पर पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 जे0 सी0 कुनियाल वैज्ञानिक-जी, द्वारा एक Online व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें उनके द्वारा स्लाइड शो के माध्यम से ओजोन की रक्षा व उसके क्षरण के कारणों और उसके रोकथाम के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए ओजोन परत की सुरक्षा के प्रति जागरूक होने की बात कही। सम्बोधन के अंत में वैज्ञानिक कुनियाल द्वारा Online व्याख्यान में प्रतिभागी छात्रों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का समाधान किया गया।

इस व्याख्यान का संचालन इनविस केन्द्र के समन्वयक डा0 जी.सी.एस. नेगी वैज्ञानिक-जी, द्वारा किया गया। अंत में डा0 नेगी द्वारा विषय से संबंधित ज्ञान को छात्रों के सम्मुख रखने के लिए डा0 कुनियाल का धन्यवाद देते हुए कहा कि यह जानकारी सभी के लिए लाभकारी एवं ओजोन संरक्षण के लिए सभी से स्व स्तर पर कार्य करने की बात कही। व्याख्यान में संस्थान के वैज्ञानिको, छात्रों एवं इनविस केन्द्र के डा0 महेशा नन्द एवं विजय सिंह बिष्ट द्वारा प्रतिभाग किया गया।