shishu-mandir

उत्तराखंड में मिशन मिठास के तहत जैविक गन्ने की खेती होगी शुरू, जानिए इसके फायदे

Newsdesk Uttranews
3 Min Read

गन्ना विभाग अब किसानों से खेतों में जैविक ईख (गन्ना) उगाएगा। Department ने मिशन मिठास के तहत ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिले में इस पर काम शुरू कर दिया है। यहां 3 साल तक केमिकल व ऊर्वरक रहित प्राकृतिक तरीके से गन्ने की खेती होगी। जिससे जूस, गुड़, खांड, शक्कर आदि उत्पाद तैयार होंगे। तीन साल बाद uttrakhand जैविक बोर्ड से गन्ना व उससे बने उत्पाद प्रमाणित कराए जाएंगे। इस जैविक गन्ने की कीमत अधिक मिलने से किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी। साथ ही लोगों को सेहतमंद जैविक उत्पाद भी मिलेंगे।

new-modern
gyan-vigyan

saraswati-bal-vidya-niketan

राज्य के ऊधम सिंह नगर, Nanital, Dehrdun व Haridwar में करीब 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती होती है। अकेले ऊधम सिंह नगर में ही करीब 24 हजार hectare खेती होती है। धीरे-धीरे जैविक उत्पादों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इसे देखते हुए ही ऊधम सिंह नगर व Nanital में जैविक खेती के लिए 29 किसानों को चिह्नित किया है। मिशन मिठास के तहत 20 एकड़ में जैविक गन्ने की बुआई भी हो चुकी हैं। शुरुआत के 3 साल तक यहां उत्पादित गन्ने से जूस, गुड़, खांड, शक्कर आदि उत्पाद जैव ईख brand नाम से तैयार होंगे। इसमें किसान व स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बाजार भी गन्ना विभाग उपलब्ध कराएगा।

विभिन्न राज्यों से मंगाए गए 3 लाख बीज

गन्ना विभाग ने गन्ना शोध केंद्र शाहजहांपुर, गुरदासपुर व फरीदकोट पंजाब व करनाल से 3 लाख गन्ने के बीज मंगाए थे। October मध्य में 20 एकड़ में बीज रोपे गए हैं। इसमें वर्मी कंपोस्ट, गोबर, जीवामृत, घनामृत आदि खाद का प्रयोग होगा। जैविक खाद से लगातार 3 साल तक फसल लेने पर ही उसे जैविक product कहा जाता है। Uttrakhand जैविक बोर्ड इसकी monitoring करने बाद इसे प्रमाणित करेगा। बोर्ड मृदा का परीक्षण व फसल की गुणवत्ता को परखता है।

समूह के जरिये होगी खेती

गन्ना विभाग स्वयं सहायता समूहों से जुड़े किसानों का कलस्टर बनाकर जैविक गन्ने की खेती करा रहा है। इसके बाद समूहों को गन्ने से बनने वाले product तैयार करने के लिए सुविधाएं दी जाएंगी। जहां पर समूह जैव ईख brand नाम से product तैयार कर बाजार में बेचेंगे। सहायक आयुक्त गन्ना कपिल मोहन ने बताया कि मिशन मिठास के तहत जैव ईख brand नाम से गन्ने के उत्पाद तैयार कराए जाएंगे। इसमें स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा गया है। जैविक product से किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, खेती के प्रति रुझान भी बढ़ेगा। लोगों को शुद्ध व सेहतमंद उत्पाद मिलेंगे।