उत्तराखंड में अब भ्रष्ट अधिकारियों पर कसा जाएगा शिकंजा, जीरो टॉलरेंस नीति पर धामी सरकार

उत्तराखंड की धामी सरकार पारदर्शी और जवाबदेही शासन की दिशा में लगातार ठोस और निर्णयात्मक कदम उठा रही है। इससे यह साबित हो गया है…

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उत्तराखंड की धामी सरकार पारदर्शी और जवाबदेही शासन की दिशा में लगातार ठोस और निर्णयात्मक कदम उठा रही है। इससे यह साबित हो गया है कि राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना और प्रशासन में जवाब देही सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता हो गई है।

यही कारण है कि सरकार ने आईएएस अधिकारियों से लेकर से अधिकारियों और भ्रष्टकर्मी के ऊपर लगातार सख्त कदम उठाए हैं।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर लगातार आगे बढ़ रही है। इसके तहत अब भ्रष्टाचार पद का दुरुपयोग करना आय से अधिक संपत्ति और वित्तीय अनियमिताओं के आरोपों पर कार्रवाई की गई है। इसमें हरिद्वार भूमि घोटाला प्रकरण भी जुड़ गया है।


इससे पहले सरकार आए से अधिक संपत्ति के मामले में आइएएस रामविलास यादव, पद का दुरुपयोग व आय से अधिक संपत्ति के मामले में आइएफएस किशन चंद, परीक्षा धांधली में पूर्व आइएफएस व यूकेएसएसएससी के चैयरमैन आरबीएस रावत, बागवानी में वित्तीय अनियमिताओं पर उद्यान निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा, भ्रष्टाचार संबंधी आदेशों की व वित्तीय नियमों की अनदेखी करने पर वित्त नियंत्रक अमित जैन, रिश्वत लेने के आरोप में उप महाप्रबंधक वित्त भूपेंद्र कुमार, भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पीसीएस निधि यादव, रिश्वत लेते पकड़े जाने पर लेखपाल महिपाल सिंह, स्टांप शुल्क व भूमि पंजीकरण में अनियमितताओं पर उप निबंधक रामदत्त मिश्र के साथ ही राज्य कर विभाग के अधिकारियों पर भी लापरवाही व भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्रवाई कर चुकी है। यहां तक की सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है।


सरकार में आयोजित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक जैसे मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है। अभी तक 57 नकल माफिया जेल भेजे जा चुके हैं और 24000 पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी की गई है।