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दिल्ली। मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लिखित जवाब में बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। केंद्र सरकार के इस बयान की चौतरफा निंदा की जा रही है जबकि केन्द्र सरकार का पक्ष है कि राज्य सरकारों ने ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं कराएं है।
जैसा कि विदित है मार्च और अप्रैल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देशभर में ‘ऑक्सीजन संकट’ पैदा हो गया था। लोगों के ऑक्सीजन सिलेंडर खोजने और ऑक्सीजन की कमी के कारण मौतें होने की कई खबरें प्रतिदिन समाचार पत्रों में प्रकाशित की जा रही थीं, लेकिन केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है।
No deaths due to lack of oxygen were specifically reported by states and union territories during second COVID-19 wave: Govt
— Press Trust of India (@PTI_News) July 20, 2021
सरकार के इस बयान के बाद देशभर में राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है। देशभर में विरोध बढ़ने के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर दी है। केन्द्र सरकार के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी बुधवार को प्रेस वार्ता कर सरकार का पक्ष रखा।
केन्द्र सरकार के इस बयान के बाद तमाम विपक्षी पार्टियों सहित कांग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि इस मुद्दे पर संसद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रही है। देश के विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने भी इस मामले पर अपने अपने विचार रखना शुरू कर दिया है।