हाईवे और एक्सप्रेसवे पर टोल से कमाई में केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार की भी कमाई बढ़ रही है लेकिन टोल ऑपरेटरो और कर्मियों में कार्य कुशलता की कमी और तकनीकी अपडेट करने में लापरवाही के कारण टोल प्लाजा में काफी अव्यवस्था फैलती जा रही है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में टोल से वसूली 61000 करोड रुपए से अधिक रही। इसके पहले वाले साल के मुकाबले ये 10% ज्यादा थी जबकि अपने हाईवे और एक्सप्रेस वे के माध्यम से राज्यों की एजेंटीयों का हिस्सा 11000 करोड रुपए रहा।
इस तरह एनएच, एक्सप्रेस वे और राज्यों के राजमार्गों पर फास्टैग के माध्यम से टोल संग्रह 72000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक रहा है।
टोल संग्रह में बढ़ोतरी शुल्क में वृद्धि के साथ ही टोल वाली सड़कों का दायरा भी बढ़ गया है। केवल पिछले साल 4700 किलोमीटर के एनएच और एक्सप्रेस वे बढ़े जिनमें टोल वसूलने की शुरुआत हुई। यह सिलसिला नई हाईवे और एक्सप्रेसवे बढ़ाने के साथ मौजूद सड़कों को चौड़ा करने की योजनाओं के साथ तेजी से बढ़ाने के कारण है लेकिन इसके अनुपात में टोलिंग व्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया बहुत कम है।
अगले कुछ दिनों में जारी होने जा रही नई टोल नीति पर कम से कम तीन साल से काम चल रहा है। इसकी प्रतिष्ठा आम जनता के साथ-साथ सांसदों को भी थी। लोकसभा और राज्यसभा सड़क पर परिवहन मंत्रालय में पूछताछ की जा रही कि अब नई प्रणाली कब से लागू होगी।
नई टोल नीति पर अमल से पहले मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली में तकनीक के उन्नयन की भी तैयारी की है। एनएच प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार पहले चरण में जिन एनएच और एक्सप्रेस वे में टोल प्लाजा समाप्त किए जाने हैं, उनमें कैमरों को बदलने का काम शुरू हो गया है।
अब जो कैमरे इस्तेमाल किए जाएंगे, वे 70-80 मीटर की दूरी से नंबर प्लेट स्कैन करने के साथ गति सीमा और ट्रैफिक उल्लंघन के मामलों को भी नोट करेंगे।
नंबर प्लेट आधारित टोल वसूली वाली प्रणाली के पायलट प्रोजेक्ट में इन कैमराओं की क्षमता पर की जाएगी जिनकी मदद से सीट बेल्ट न पहनना, उलटी दिशा में वाहन चलाना और मोबाइल पर बात करने वाले मामले भी रिकॉर्ड किए गए।
अधिकारी ने यह भरोसा दिलाया कि ना सिस्टम में तकनीकी समस्या नहीं आएगी क्योंकि पूरे नेटवर्क में कैमरा और सेंसर को बदलने का काम 6 महीने में पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही राज्यों से यह भी कहा गया है कि वह अपने एक्सप्रेसवे और हाईवे की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी करेंगे।