Verification: aeee5e56bc920c65
shishu-mandir

मांग: क्वारब खैरना एनएच (Kwarb Khairna NH)में वैकल्पिक मार्ग बनाना वक्त की जरूरत

editor1
3 Min Read

Need to make alternate route in Kwarb Khairna NH

Screenshot-5

अल्मोड़ा, 21 मार्च 2022— अल्मोड़ा और हल्द्वानी को जोड़ने वाला प्रचलित मार्ग अल्मोड़ा— क्वारब— खैरना हाईवे(Kwarb Khairna NH) की हालत दयनीय बनी हुई है।

new-modern
gyan-vigyan

इस मार्ग को पहाड़ की लाइफ लाइन कहा जाता है लेकिन मार्ग की हालत यह है कि आज भी इस मार्ग की हालत काफी दयनीय है।

kesaw kandpal

उत्तराखंड क्रांतिदल के जिला प्रवक्ता केशव कांडपाल ने इस मार्ग की हालत को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 2010 से लगातार यह मार्ग क्षतिग्रस्त होते जा रहा हैं कई बार निर्माण और मरम्मत की बात सामने आई लेकिन कोई भी मरम्मत कार्य दीर्घकालीन नहीं रहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान की डबल इंजन की सरकार भी इस समस्या का हल नहीं खोज पाई है। जबकि पहले भी कई भूगर्भीय जानकार इस मार्ग में यानि क्वारब से खैरना के बीच एक वै​कल्पिक मार्ग की जरूरत जता चुके हैं।

अल्मोड़ा के प्रदीप छाए सोशल मीडिया में, क्या है मामला


उन्होंने कहा कि इन दिनों इस मार्ग (Kwarb Khairna NH)की हालत काफी चिंतनीय हो चली है। वाहन, एंबूलेंस सहित सभी प्रकार के वाहन लगातार और आए दिन जाम जैसी समस्या से जूझ रहे हैं जबकि खस्ताहाल सड़क से गुंजरना अपने आप में एक यातना है। उन्होंने कहा कि जितना जरूरी इस सड़क की त्वरित मरम्मत करना है उतना ही जरूरी भविष्य को देखते हुए एक वै​कल्पिक मार्ग का निर्माण करना भी ताकि आपदा जैसी स्थितियों के दौरान कम से कम हाईवे बंद ना रहे।


उन्होंने कहा कि खैरना से क्वारब की ओर नदी के दूसरे छोर से एक वैकल्पिक सड़क बनाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पर्यटक सीजन आने वाला है ऐसे में इस सड़क से लोग कैसे गुजरेंगे यह एक बड़ी समस्या है।

अल्मोड़ा का कृष्णा नेवी(Navy) में बना अफसर, सीमित संशाधनों के बावजूद इंटर के बाद दो बड़ी परीक्षाएं की पास

साथ ही उन्होंने कहा कि Kwarb Khairna NH सड़क की मरम्मत और वर्तमान में जिस गति से काम चल रहा है उसे देख कर नहीं लगता की बरसात तक यह कार्य पूरा भी हो पाएगा उन्होंने दूसरे छोर पर वैकल्पिक मार्ग के निर्माण के लिए जनता से राय शुमारी करने और उसके बाद जनता की मदद से जनदबाव बनाने की चेतावनी दी साथ ही कहा कि यदि विभाग ने जनहितों को ध्यान में रखकर कोई निर्णय ​नहीं लिया तो वह विचार विमर्श के बाद न्यायालय की शरण भी जाएंगे।