बवासीर, जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, एक ऐसी समस्या है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या मुख्य रूप से गुदा क्षेत्र की नसों के सूजने के कारण होती है, जिससे दर्द, जलन और असहजता होती है। कई लोग बवासीर का इलाज सर्जरी से करना चाहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ प्राकृतिक उपायों से इसे जड़ से ठीक किया जा सकता है?
बवासीर का कारण कब्ज, गलत खानपान, लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठना, या गर्भावस्था हो सकती है। बवासीर दो प्रकार की होती है – आंतरिक और बाहरी। आंतरिक बवासीर में दर्द कम होता है लेकिन रक्तस्राव हो सकता है, जबकि बाहरी बवासीर में दर्द और सूजन प्रमुख होते हैं।
बवासीर के इलाज के लिए सबसे पहले अपनी जीवनशैली में सुधार करना जरूरी है। आहार में फाइबर युक्त भोजन को शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियां, साबुत अनाज और फल जैसे पपीता, सेब, और नाशपाती कब्ज को रोकने में मदद करते हैं। कब्ज बवासीर का प्रमुख कारण है, इसलिए इसे नियंत्रित करना जरूरी है। इसके साथ ही, दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीना न भूलें, क्योंकि पानी पाचन को बेहतर बनाता है और मल को नरम रखता है।
एलोवेरा का उपयोग भी बवासीर के लिए फायदेमंद होता है। इसके सूजन-रोधी गुण बवासीर के मस्सों को कम करने में मदद करते हैं। ताजे एलोवेरा जेल को प्रभावित जगह पर दिन में दो बार लगाने से राहत मिलती है। इसके अलावा, गुनगुने पानी से सिट्ज बाथ (गुदा क्षेत्र को भिगोना) करना भी दर्द और सूजन में कमी लाने में मदद करता है।
आयुर्वेद में बवासीर के इलाज के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है। इसे रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है। अर्जुन की छाल का काढ़ा भी रक्तस्राव को कम करने में मदद करता है और सूजन को ठीक करता है।
हालांकि घरेलू उपाय प्रभावी होते हैं, लेकिन यदि रक्तस्राव ज्यादा हो, दर्द असहनीय हो, या मस्से ठीक न हों, तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। विशेषज्ञ उचित उपचार और सलाह दे सकते हैं, जिससे बवासीर को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
बवासीर को ठीक करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद जरूरी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और पर्याप्त पानी पीना चाहिए। योग और प्राणायाम जैसे आसन भी पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं और तनाव को कम करने में मदद करते हैं, जो बवासीर को रोकने में सहायक होते हैं। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बचें और समय-समय पर टहलने की आदत डालें।