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अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर कुमाऊं विश्वविद्यालय (Kumaou University) द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार आयोजन

Newsdesk Uttranews
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नैनीताल। 22 मई 2021- अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल (Kumaou University), इग्नू डी. एस.बी परिसर नैनीताल, एस.एम.डी.सी.नैनीताल, डॉ.वाई.पी.एस.पांगती फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से एक राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जैव विवधता संरक्षण एवम सतत विकास पर व्यापक चर्चा हुई।

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इस अवसर पर कुलपति कुमाऊँ विश्विद्यालय, नैनीताल प्रो. एन.के.जोशी ने कहा कि जैव विविधता के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। हर प्रजाति की महत्ता समान है, हमें पारंपरिक ज्ञान से इसे संरक्षित रखना चाहिए। वन जीव संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो.गोपाल सिंह रावत ने कहा कि जैव विवधता संरक्षण के लिए आगे आना आना होगा। प्रकृति आधारित शोध होने चाहिए, लोकल फॉर वोकल के साथ हर जनमानस को जैव विवधता संरक्षण के साथ जुड़ना होगाप्रो. अजीत कर्नाटक, कुलपति ,वी. सी.एस.जी. उत्तराखण्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ फारेस्ट एंड हॉर्टिकल्चरल,भरसार, ने कहा कि हमारा जीवन प्रकृति पर आधारित है तथा प्रकृति में विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे पर आधारित हैं,अनुवांशिक जैव विवधता का संरक्षण अनिवार्य है एवम प्रकृति के नियमों का पालन करें।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. एस.एस. सामंत , निदेशक हिमालय फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, शिमला ने अपना व्याख्यान दिया। डॉ. सामंत ने हिमालय क्षेत्र की जैव विवधता पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिमालय क्षेत्र में 10042 पर्वतीय पौधों की प्रजाति है जिसमे से 4035 प्रजातियां महत्वपूर्ण हैं। बताया कि आंवला, बहुनिया, मोरकैला, बुरांश, अतीस की जड़, हल्दी, बुरांश का जूस , धृतकुमारी इम्यूनिटी बढाती है। पॉलिनेटर जैव विवधता के लिए अनिवार्य है। उन्होंने बी कीपिंग को अनिवार्य बताया, साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव तथा उस हेतु जैव विविधता को संरक्षित करने पर जोर दिया ,जनसहभागिता एवम अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है।

वेबिनार में प्रो. ओ. पी.एस. नेगी,कुलपति ,उत्तराखंड मुक्त विश्विद्यालय हल्द्वानी (नैनीताल), ने कहा की गिद्ध को संरक्षित करना जिस तरह अनिवार्य है उसी तरह से सारी प्रजातियों का दोहन सतत क्रम में हो इसके लिए प्रत्येक नागरिक को आगे आना होगा जो हम सबकी जिम्मेदारी है। प्रो.भंडारी कुलपति, एस.एस.जे.विश्वविद्यालय, अल्मोडा, ने कहा जब जैव विवधता ही नही रहेगी तो हम कैसे रहेंगे प्रकृति के साथ आत्मीय रिश्ते बनाने होंगे तथा इसके साथ सामंजस्य रखना होगा।

हिमालय नेचुरल ,डॉ.पांगती फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. बहदुर सिंह कालकोटी ने कहा कि औषधीय पौधों की खेती, लैनटाना से फर्नीचर तथा पौधों की,रासायनिक जाँच होनी चाहिएं जिससे प्रकृति को संरक्षित करने के लिए हमारी भूमिका सुनिश्चित कर सके। वेबिनार का संचालन, संयोजक एवं निदेशक, शोध एवं प्रसार निदेशालय, कुमाऊँ विश्विद्यालय नैनीताल प्रोफेसर ललित तिवारी द्वारा किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव संयुक्त निदेशक डॉ. आशीष तिवारी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम को यू ट्यूब,फेसबुक के माध्यम से भी प्रसारित किया गया। कार्यक्रम के अंत में हिमालय पुत्र पर्यावरण विद सुन्दर लाल बहुगुणा, प्रो.यशपाल सिंह पांगती, डॉ.रणवीर सिंह रावल(निदेशक), प्रो. प्रकाश चन्द जोशी(हरिद्वार)प्रो.उमेश नौटियाल(देहरादून),डॉ.सूचेतन साह, डॉ.लोकेंद्र सिंह,श्री मुकेश कुमार, डॉ.दिवाकर भट्ट को श्रदांजलि दी गयी तथा उनके सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। इस वेबिनार में अनेक प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों आदि ने प्रतिभाग किया।