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साहित्यकार मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral) के निधन पर उलोवा ने जताया दु:ख

Newsdesk Uttranews
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sahitaykar Manglesh Dabral ke nidhan par jataya dukh

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अल्मोडा 10 दिसम्बर 2020
वरिष्ठ साहित्यकार मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral)
के निधन पर उत्तराखण्ड लोकवाहिनी ने एक शोक सभा कर उन्हें श्रृद्धां​जलि दी।

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साहित्यकार मंगलेश डबराल के निधन पर शोक व्यक्त करते उलोवा कार्यकर्ता


शोक सभा में बोलते हुये उलोवा के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि मंगलेश डबराल उत्तराखण्ड की जनचेतना के एक सशक्त हस्ताक्षर रहे, उनके निधन से साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है।

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एड0 जगत रौतेला ने कहा कि मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral) ने दुखी , पीडित व मजलूमो की समस्याओ को अपने साहित्य व कविताओ मे स्थान दिया। दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि मंगलेश डबराल की मृत्यु पत्रकारिता जगत की अपूर्णीय क्षति है, वा​हिनी के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा ने कहा कि पत्रकार साहित्यकार व लेखक समाज की धरोहर होते है।


अजयमित्र सिह बिष्ट ने कहा कि मंगलेश डबराल के उत्तराखण्ड की आन्दोलनकारियो की शक्तियो से आत्मीय संम्बन्ध रहे। कुणाल तिवाडी ने मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral)
की कविता पाठ कर उन्हे अपनी श्रृद्धांजलि दी।


शोक सभा की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार कपिलेश भोज ने मंगलेश डबराल की साहित्य यात्रा पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि पहाड पर लालटेन मंगलेश डबराल की चर्चित रचनाये थी इसके अलावा, घर का रास्ता भी लोकप्रिय हुई।

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मंगलेश एक बेहतरीन सम्पादक रहे। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ मे उन्होने सम्पादन किया वह बेहतरीन गद्यकार के रूप मे भी याद किये जाएंगे। कहा कि कविता, कहानीकार , गद्यकार व बेहतरीन सम्पादक के रूप मे मंगलेश डबराल हमेशा याद किये जायेगे।

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वह मेहनतकश जनता व आम लोगो के पक्ष मे खडे रहे। साहित्यकार कपिलेश भोज ने कहा कि जिस प्रकार सुमित्रानन्दन पन्त विश्वभर में प्रसिद्ध हुए वैसे ही मंगलेश डबराल भी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय रहे। भारत के विश्वविद्यालयो के साथ ही अन्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में उनकी कवितायें शामिल की गयी है।

शोक सभा के अंत में दो मिनट का मौन रखकर साहित्यकार मंगलेश डबराल को श्रृद्धांजलि दी गई। शोक सभा में रेवती बिष्ट, शमशेर जंग गुरुग, अजय सिंह मेहता आदि मौजूद रहे।


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