बस 20 मिनट की दूरी, गोलियों की आवाज और जान बचाने के लिए भागते लोग। पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ है? लोग चिल्लाने लगे कि आतंकी आ गए, हमला हुआ है। इसके बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
महाराष्ट्र दंपति ने बताया कि वह अपनी पत्नी और बेटे को सुरक्षित करने के लिए तेजी से भागने लगे। पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की आंखों-देखी महाराष्ट्र के एक दंपती ने बयां की है। उन्होंने बताया कि हम घटनास्थल से 20 मिनट की दूरी पर से कुछ देर पहले ही हमने इलाका छोड़ा था।
नागपुर से आए पर्यटक का कहना है कि काफी देर तक गोलाबारी की आवाज आती रही। सब लोग सुरक्षित जगहों पर दौड़ने लगे। हम भी भागने लगे और पीछे मुड़कर नहीं देखा। यहां से बाहर निकलने का गेट 4 फीट का था और भीड़ बहुत थी। भगाने के दौरान मेरी पत्नी के पैर में फ्रैक्चर भी हो गया। मैं पत्नी और बच्चे की सुरक्षा को लेकर बहुत परेशान था। मैं इस मंजर को ताउम्र नहीं भूल पाऊंगा।
अस्पताल में भर्ती एक महिला ने बताया कि लोग चिल्ला रहे थे की फायरिंग हो रही है। भागो भागो! लोग निकलने के लिए एक दूसरे को धक्का दे रहे थे। हर कोई अपनी जान बचा रहे था। पीछे मुड़कर किसी ने नहीं देखा। वहां बच्चे भी थे हमें बाहर निकलने में दिक्कत हो रही थी।
एक टूर गाइड ने बताया कि गोलाबारी की आवाज सुनने के बाद घटनास्थल पर वह पहुंचा और कुछ घायलों को घोड़े पर बिठाकर वहां से ले गया। वहीद ने बताया कि मैंने कुछ लोगों को जमीन पर पड़े देखा, जो मृत लग रहे थे।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाए और 26 लोगों की हत्या कर दी।
सेना की वर्दी में आए दहशतगर्दों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और फिर हिंदू हो कहकर गोली मार दी। 26 मृतकों में ज्यादातर पर्यटक हैं, जबकि दो विदेशी और दो स्थानीय नागरिक शामिल हैं।