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लोक जैव विविधता प्रशिक्षण का हुआ समापन

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में हरित कौशल विकास कार्यक्रम के अन्र्तगत 15 दिवसीय ‘‘लोक जैव विविधता पंजिका का संकलन’’ प्रशिक्षण शिविर का यहा समापन हो गया है। गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान के इनविस केन्द्र में 7 से 21 जनवरी तक आयोजित इस इस कौशल विकास कार्यक्रम का उद्घाटन विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुुसंधान केन्द्र के निदेशक डाॅ॰ ए. पटनायक द्वारा किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में पर्यावरण संस्थान के इनविस केन्द्र द्वारा उत्तराखंड के नौ अलग-अलग जिलों से आये प्रशिक्षुओं को संस्थान के एवं राज्य के अन्य संस्थानों से आये हुए विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। संस्थान के इनविस केन्द्र प्रभारी डाॅ॰ गिरीश नेगी द्वारा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु हवालबाग ब्लाक के पांच गांवों का चयन पी.बी.आर. पंजिका तैयार करने के लिये किया गया था। प्रतिभागियों ने गांवों में जाकर प्रश्नावली एवं बैठकों के माध्यम से लोक जैव विविधता पंजिका तैयार की । इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को जैव विविधता संरक्षण के प्रति जागरूक करना तथा जैव विविधता पंजिका तैयार करवाना था। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान हवालबाग विकास खण्ड के पपोली ग्राम में जैव विविधता प्रबन्धन कमेटी का गठन भी किया गया जिसमें उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड के प्रतिनिधि डा॰ राजेन्द्र काला एवं वन विभाग के प्रतिनिधि, ग्राम-प्रधान पपोली एवं अन्य ग्रामवासी उपस्थित रहे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान संस्थान के निदेशक डाॅ॰ आर.एस. रावल ने प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श करते हुए आशा जताई कि आगामी समय में संस्थान द्वारा किये जा रहे इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुभव लाभकारी होंगें।


प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर राज्य वानिकी प्रशिक्षण संस्थान, हल्द्वानी के उप-वन संरक्षक श्री जे.सी. जोशी ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को अत्यन्त उपयोगी बताते हुए प्रशिक्षणार्थियों के कौशल का लाभ उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड द्वारा लेने की बात कही। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई. किरीट कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रशिक्षणार्थियों को संस्थान से प्राप्त प्रशिक्षण आगामी क्रियान्वयन हेतु शुभकामनाये दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों, इनविस केन्द्र के डाॅ महेशानंद, श्री विपिन चन्द्र शर्मा, श्री विजय बिष्ट एवं शोधार्थियों का विशेष योगदान रहा।