देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ कुमाऊं मंडल ने प्रांतीय अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड को पत्र प्रेषित कर उत्तराखण्ड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री की प्रथम कैबिनेट बैठक में अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के निर्णय को ग़लत बताते हुए इसे नियमित शिक्षकों के साथ घोर अन्याय बताया है।
राजकीय शिक्षक संघ कुमायूँ मण्डल ने कहा कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में निर्गत शासनादेशों में स्पष्ट कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त माना जायेगा और स्थानान्तरण एवं नवीन नियुक्ति तक ही अतिथि शिक्षक अपने पदों में कार्य कर सकते हैं। कहा कि यह निर्णय दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत नियमित शिक्षकों के साथ घोर अन्याय होगा।
कहा कि उत्तराखण्ड स्थानान्तरण अधिनियम लागू होने के उपरान्त भी विगत चार वर्षों से सरकार द्वारा कोई भी स्थानान्तरण नहीं किया गया जो कि स्थानान्तरण अधिनियम का उल्लंघन है। सरकार द्वारा कोविड-19 का हवाल देकर स्थानान्तरण सत्र शून्य करने का शासनादेश किया गया है जो कि न्यायोचित नहीं है।
कुमाऊं मंडल मंत्री ने प्रांतीय अध्यक्ष से मांग की है कि उक्त शासनादेश को निरस्त करने हेतु शासन से वार्ता की जाय जिससे कि दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को राहत मिल सके।