22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर की बायसरन घाटी में तबाही का मंजर किसी ने नहीं सोचा था। लेकिन दो पर्यटक ऐसे थे जिनकी समझदारी और वक्त की नज़ाकत ने उनकी जान बचा ली। महाराष्ट्र के नांदेड़ से पहलगाम घूमने पहुंचे कृष्णा और साक्षी लोलागे 22 तारीख को दोपहर में उसी जगह पर थे, जहां कुछ देर बाद आतंकियों ने हमला कर 26 बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया।
कृष्णा के भाई ने बताया कि हमले से लगभग 15 मिनट पहले कृष्णा ने कॉल कर बताया था कि घाटी का माहौल अजीब है। कुछ लोग वहाँ टूरिस्टों से धर्म पूछते नज़र आ रहे थे। बात में खतरा समझकर दोनों ने फौरन वहां से हटने का फैसला किया। जब वे अपने होटल पहुंचे और वाई-फाई से जुड़कर न्यूज़ अलर्ट देखा, तो जिस जगह को वो छोड़कर आए थे, वहां गोलियों की गूंज सुनाई दे रही थी। उस पल दोनों सन्न रह गए।
इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है। सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने घाटी में टूरिस्टों को रोका, उनका धर्म पूछा और फिर हिंदू पहचान होने पर गोलियों से भून डाला। मृतकों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल से लेकर हरियाणा और कर्नाटक तक के लोग शामिल हैं।
सरकार ने इस हमले के बाद पाकिस्तान को लेकर अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई की है। सिंधु जल संधि रोक दी गई है, अटारी बॉर्डर बंद कर दिया गया है और पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं। पाक उच्चायोग के स्टाफ को भी कम किया जा रहा है। भारत ने साफ कर दिया है कि अब कोई रियायत नहीं दी जाएगी।