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बड़ी खबर: किन्नर समुदाय के उत्थान के लिए बनाये योजना : नैनीताल हाई कोर्ट का आदेश

Newsdesk Uttranews
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रवींद्र देवलियाल

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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में किन्नर समुदाय के कल्याण के लिये शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि किन्नर समुदाय के कल्याण व उत्थान के लियेे शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले दाखिले और सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिये छह महीने के अंदर एक योजना तैयार करे।

कोर्ट ने प्रदेश सरकार को यह भी निर्देश दिये कि वह किन्नर समुदाय के सदस्यों के लिये छह माह के अंदर एक आवास योजना बनाये और उनके उत्थान के लिये वेलफेयर बोर्ड का गठन करे। कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड में किन्नर समुदाय को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए। कोर्ट ने सरकार को किन्नर समुदाय के कल्याण के लिये विभिन्न कल्याणकारी योजनायें भी तैयार करने को कहा है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की युगल पीठ ने देहरादून निवासी व किन्नर समुदाय की नेता रजनी रावत व रानो की याचिकाओं की सुनवाई के बाद ये निर्देश दिये हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट से सामाजिक व स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जीने व सुरक्षा की मांग की गयी थी। इसी के साथ कोर्ट ने याचिकाकाओ को पूर्ण रूप से निस्तारित कर दिया।
कोर्ट ने याचिका को विस्तारित करते हुए जोर देते हुए कहा कि किन्नर समुदाय के सदस्यों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। उन्हें भी जीवन जीने व काम करने का अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने आगे कहा कि उड़ीसा सरकार ने किन्नर समुदाय को समानता व न्याय प्रदान करने के लिये एक योजना तैयार की है। योजना में किन्नरों के लिये छात्रवृत्ति, व्यक्तित्व विकास व कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ-साथ स्वरोजगार देने का प्रावधान शामिल है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रदेश सरकार ने 2014 में जारी उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने लीगल सर्विस अथाॅरिटी बनाम केन्द्र सरकार मामले में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में उल्लिखित ‘व्यक्ति’ शब्द सिर्फ महिला व पुरूष तक ही सीमित नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने भी माना है कि लिंग के आधार पर किन्नर समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है।