भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तान की कृषि और ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है, और भारत के इस कदम से वहां की जनता में चिंता बढ़ गई है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने यह निर्णय लिया। इसके तहत भारत ने चेनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाने का आदेश दिया है। इनमें रणबीर नहर की लंबाई को दोगुना करके 120 किलोमीटर करने की योजना भी शामिल है, जिससे पानी मोड़ने की क्षमता 40 से बढ़ाकर 150 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी ।
पाकिस्तान ने इस निर्णय को अवैध बताया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने नेशनल असेंबली में कहा कि उनकी सरकार ने भारत को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है ।
भारत के इस कदम से पाकिस्तान को बिजली उत्पादन में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि भारत ने जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं की एक सूची बनाई है, जिससे बिजली उत्पादन को 3,360 मेगावॉट से बढ़ाकर 12,000 मेगावॉट तक किया जाएगा ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 13 मई को कहा कि भारत सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखेगा, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह से बंद नहीं कर देता ।
इस निर्णय से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है, और पाकिस्तान ने चेतावनी दी है कि भारत का यह कदम युद्ध की कार्रवाई के समान है ।