पिथौरागढ़। लचर स्वास्थ्य सेवाओं के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को नगर के केमू स्टेशन में प्रदेश सरकार पुतला फूंका। पूर्व विधायक मयूख महर और महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष पदमा बिष्ट के नेतृत्व में कांग्रेसी बड़ी संख्या में स्टेशन में एकत्र हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
इस दौरान पूर्व विधायक महर ने कहा कि तीन दिन पूर्व महिला अस्पताल पिथौरागढ़ में एक बेटी को प्रसव के दौरान सही उपचार नहीं मिल पाने पर रेफर कर दिया गया, जिसने रास्ते में दम तोड़ दिया। इस घटना से लोगों में भारी रोष व्याप्त है। पूर्व विधायक ने सवाल उठाते हुए कहा कि यहां आए दिन प्रसव के दौरान अव्यवस्थाओं के चलते महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ रही है, आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। प्रदेश सरकार एक ओर तो बढ़े-बढ़े पोस्टरों में महिला सुरक्षा का दावा करती है, लेकिन दूसरी ओर स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में महिलाओं की जान जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने पिथौरागढ़ के अस्पतालों को मात्र रेफरल सेंटर बनाकर रख दिया है।
महिला कांग्रेस और कांग्रेस जिलाध्यक्ष पदमा बिष्ट और त्रिलोक महर ने कहा कि इस तरह की लचर स्वास्थ्य सेवाएं सहन नहीं की जाएंगी। यह भाजपा के विधायक और अन्य नेताओं की जवाबदेही है कि वे स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करें। प्रदर्शन यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष ऋषेंद्र महर, जिपं सदस्य अंजू लुंठी, शिवानी कोहली, काजोल बसेड़ा, राजेश्वरी, मुन्नी देवी, राजवंती देवी, कमला, भुवन पांडेय, त्रिलोक जोशी, पवन माहरा, पुष्पा शर्मा, जानकी पंत, सुमित्रा बोरा, पुष्पा जोशी समेत अनेक कार्यकर्ता शामिल थे।
प्रसूता की मौत प्रकरण की जांच करेगी समिति
पिथौरागढ़। जिला महिला चिकित्सालय में बीती 23 अगस्त को भर्ती गर्भवती महिला की अस्पताल से रेफर करने के बाद हुई मौत के मामले की जिलाधिकारी ने विस्तृत जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। गौरतलब है कि काव्या निवासी निकट नैनी सैनी ने विगत दिनों महिला चिकित्सालय में प्रसव के दौरान एक बच्ची को जन्म दिया था, जिसके बाद काव्या का स्वास्थ्य बिगड़ने पर चिकित्सक की सलाह पर उसे हायर सेंटर हल्द्वानी रेफर किया गया, लेकिन वहां पंहुचने से पूर्व ही रास्ते में उसकी मौत हो गई। जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने इस प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए उप जिला मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ नंदन कुमार की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है, जिसमें मुख्य चिकित्साधिकारी और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ सदस्य होंगे। जिलाधिकारी ने समिति को 7 दिन के भीतर तथ्यों की स्पष्ट जांच कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।