उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फैसले एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। अबकी बार मामला सैलून और पार्लर से जुड़ा है। सरकार ने प्रदेश के सभी नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायत को साफ निर्देश दे दिए हैं कि अपने इलाके में ऐसे युवाओं को तलाशा जाए जो उत्तराखंड के रहने वाले हैं और सैलून या पार्लर खोलना चाहते हैं। सरकार ऐसे युवाओं को मदद देने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री धामी पहले भी कई कड़े फैसलों की वजह से सुर्खियों में रह चुके हैं। फिर चाहे वो समान नागरिक संहिता लागू करने की बात हो या अवैध मजार और मदरसों पर कार्रवाई का मामला। अब उनका ताजा फोकस उन स्थानीय युवाओं पर है जो खुद का रोजगार शुरू करना चाहते हैं। सरकार का कहना है कि जो युवा बाल काटने या पार्लर से जुड़ा काम करना चाहते हैं उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी और उनके लिए योजना के तहत आर्थिक सहयोग भी दिया जाएगा।
सरकार की तरफ से तय किया गया है कि हर नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में करीब दस दस सैलून खोले जाएंगे। इसके लिए जो भी युवा आवेदन करेंगे उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी बशर्ते वो उत्तराखंड के मूल निवासी हों।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का कहना है कि ये योजना सिर्फ रोजगार देने के लिए नहीं बल्कि प्रदेश के असली स्वरूप को बचाए रखने की दिशा में एक जरूरी कदम है। उनका कहना है कि राज्य में जिस तरह जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है उसे रोकने की जरूरत है और यह कदम उसी का हिस्सा है।
उन्होंने साफ कर दिया है कि सरकार स्थानीय युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और जो भी युवक अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं उन्हें हरसंभव मदद दी जाएगी। सरकार का दावा है कि इस पहल से न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि प्रदेश की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान भी सुरक्षित रहेगी।
ये योजना कब से लागू होगी और आवेदन प्रक्रिया क्या होगी इसकी जानकारी स्थानीय निकायों के जरिए दी जाएगी। लेकिन प्रशासनिक हलकों में तैयारी शुरू हो चुकी है और जल्द ही इसका असर जमीनी स्तर पर भी नजर आने लगेगा।