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जोशीमठ आपदा पर बोले प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं वैज्ञानिक डॉ रवि चोपड़ा

उत्तरा न्यूज टीम
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जोशीमठ। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं वैज्ञानिक डॉ रवि चोपड़ा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के पूर्व अध्यक्ष से आज जोशीमठ आपदा के संबंध में प्रेस वार्ता की गई जिसमे उन्होंने बताया कि सबसे मुख्य कारण जोशीमठ के अगल-बगल लगातार भारी विस्फोट के कारण जल स्रोत की चट्टाने खिसक गई है जिसके कारण इस तरह की घटनाएं दिख रही है।

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उन्होंने कहा कि मिश्रा कमेटी ने 1976 में स्पष्ट रूप से कह दिया था कि जोशीमठ को बचाने के लिए अलकनंदा के तट पर तटबंध का निर्माण किया जाना चाहिए। 30 वर्ष का समय व्यतीत होने के बाद भी सरकार के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया गया।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहां की है जोशीमठ में अनियोजित ढंग से बने मकानों का भी एक कारण हो सकता है सीवरेज एवं ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होने के कारण भूवधंसाव जैसी समस्या का समस्या सामने आयी है। उन्होंने बताया कि सरकार के पास पर्वतीय क्षेत्रों में किस तरह का शहर बसाया जाने का कोई मॉडल एवं कोई नियमावली नहीं है। पर्यावरण की पहलू को मध्य नजर रखते हुए हिमालय क्षेत्र में निर्माण कार्यों को मंजूरी मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अणिमठ से मारवाड़ी बाईपास सड़क जो बन रही है। उसमें भी विस्फोटक सामग्री का प्रयोग किया गया है। यह जानकारी उन्होंने कहा मुझे मिली है। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी विष्णु गाड़ तपोवन 520 मेगावाट जल विद्युत परियोजना के निर्माण में अत्यधिक विस्फोटक सामग्री का प्रयोग करने से जोशीमठ में दरारे चौडी हुई है।

आज जोशीमठ में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने आरोप लगाया कि प्रशासन एवं शासन द्वारा हमारी बात का संज्ञान नहीं लिया जिससे जोशीमठ इतनी बड़ी आपदा की घटनाएं हुई। पहले अगर सरकार जाग जाती तो लोगों को बहुत बड़ा नुकसान नहीं उठाना पड़ता। लोग कितनी बड़ी संख्या में बेघर नहीं होते बड़ी संख्या में लोगों को यहां से जाना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि इस पूरी घटनाक्रम में विष्णु गाड़ तपोवन 520 मेगावाट की एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना के कारण भारी विस्फोट वैज्ञानिक तरीके से चट्टान की कटिंग के कारण यह घटना हुई है एनटीपीसी ने जोशीमठ का बीमा किया होता आज लोगों को सरकार के सामने हाथ फैलाना नहीं पड़ता एनटीपीसी के द्वारा वादाखिलाफी का आरोप इनके द्वारा लगाया गया कहां गया कि हमारे जलस्रोत कंपनी के कारण 2009 में नहीं सूखे थे तो 16 करोड़ रुपये पेयजल के लिए क्यों स्वीकृत किया गया।