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फेसबुक का अर्थशास्त्र भाग 12

उत्तरा न्यूज डेस्क
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  जितना ज्यादा लाइक मिलेगा उतना ही ऊपर आपका प्रोडक्ट आएगा। लोग देखेंगे कि कंपनी को हजार लोग पसंद कर रहे हैं तो कई बार दबाव में वो भी पसंद करना शुरू कर देंगे। फेसबुक में ऐसा होता है। आप अगर लाइक नहीं कर रहे हैं तो भी आपके होम पेज पर कंपनी का नाम चमक उठेगा, यदि आपका दोस्त उसे लाइक कर रहा हो। हालांकि कई कंपनियों का मानना है कि फेसबुक एक व्यावसायिक माध्यम न होकर एक सोशल माध्यम यानी सामाजिक मंच है इसलिए इसका इस्तेमाल बिक्री के लिए कम जनसंपर्क के लिए ज्यादा होना चाहिए।

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चूंकि मार्क व्यवसाय के इस मॉडल के शुरुआती प्रयोगकर्ता हैं इसलिए नवाचार के मामले में वो बेहद द्रुत हैं।2010में मार्क ने फेसबुक के मंच पर एक नए एप्लिकेशन से यूजर्स का परिचय कराया। जकरबर्ग ने इसे ओपन ग्राफ का नाम दिया। इसकी खासियत यह है कि आप जान पाएंगे कि आपके दोस्त ने सीएनएन.कॉम या फिर वॉशिंगटन पोस्ट डॉट कॉम पर कौन सा लेख पढ़ा। कंपनियों को भरोसा है कि दोस्तों की सिफारिश पर लोग चीजों को ज्यादा गंभीरता से लेते हैं चाहे वो लेख पढ़ने का मामला हो या फिर शॉपिंग का। इस मामले में फेसबुक गूगल से सैंकड़ों मील आगे निकल गया है।

नास्डॉक में उतारा कंपनी को अक्टूबर 2008 में फेसबुक कंपनी ने यह घोषणा की कि वह आयरलैंड के डब्लिन शहर में फेसबुक का अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय खोलने जा रही है। मार्क ने कहा कि अमेरिका से बाहर एक बड़े दफ्तर का होना बहुत जरूरी है। फेसबुक के मामले में तकरीबन हर बार मार्क ने समय से पहले ही हवा के रुख को भांप लिया। फेसबुक पर यूजर्स की आवाजाही पर गौर करें तो 2009 से इसमें तेज वृद्धि हुई है। धीरे-धीरे आलम ये हो गया कि 2010 में फेसबुक ने आवाजाही के मामले में गूगल को भी पीछे छोड़ दिया।

नवंबर 2010 में सेकेंडमार्केट ने अपने आकलन में बताया कि ई-बेज को पार करते हुए फेसुबक अमेरिका में गूगल और अमेजॉन के बाद तीसरी सबसे बड़ी वेब कंपनी बन गई है। डबलक्लिक नामक संस्था के मुताबिक जून 2011 में फेसबुक पर पेज देखने की संख्या 10 खरब को पार कर गई और इस तरह यह दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाली वेबसाइट बन गई। हालांकि डबलक्लिक के इस आकलन में एक ढिलाई यह थी कि इसमें गूगल सहित कुछ अन्य महत्वपूर्ण वेबसाइटों को शामिल ही नहीं किया गया था। लेकिन इससे फेसबुक की लोकप्रियता कम नहीं हो जाती।

तकरीबन सभी महत्वपूर्ण संस्थाओं ने इसे ऊंचा पायदान दे रखा है। प्रसिद्ध सर्वे कंपनी नील्सन मीडिया रिसर्च स्टडी के मुताबिक दिसंबर 2011 में फेसबुक अमेरिका में दूसरी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की गई साइट थी। मार्क के लिए यह संख्या सुकूनदेह तो है लेकिन सिर्फ़ संख्या बढ़ाना उनका उद्देश्य नहीं है। वह जानते हैं कि कंपनी के ब्रांड की सबसे बड़ी खासियत उसकी विश्वसनीयता है और इसीलिए लगातार उन्नति कर रही कंपनी में भी वो सुरक्षा का पेंच लगाते रहते हैं। यह एक तरह की चैकसी है। मार्च 2011 में मार्क ने कहा कि फर्ज़ी खातों, कम उम्र और अलग-अलग तरह की अशालीन व स्पैम हरकतों की वजह से रोजाना लगभग 20 हजार खातों को फेसबुक से हटाया जा रहा है।

इस साल की शुरुआत से ही मार्क की यह योजना थी कि वो शेयर बाजार में फेसबुक को सूचीबद्ध करेंगे। अंततरू17 मई 2012 को फेसबुक ने इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी आईपीओ की शुरुआत की। पहले दिन शेयर की कीमत 38 डॉलर थी। हालांकि नॉस्डॉक पर मार्क कुछ खास नहीं कर पाए और अमेरिकी मीडिया के सघन प्रचार के बावजूद शेयर की दर में लगातार गिरावट देखी गई।लेकिन कीमत में गिरावट के बावजूद फेसबुक ने एक कीर्तिमान रचा। आईपीओ के पहले दिन राजस्व के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होने का तमगा इसके हाथ आ गया जारी