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देहरादून। भाजपा प्रवक्ता रवीन्द्र जुगरान ने उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग में भर्ती चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए है। जुगरान ने कहा है कि आयोग की स्थापना से प्रारंभिक व स्क्रीनिंग परीक्षा में शून्य अंक पाने वालों को भी साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता था।
उन्होंने कहा है कि यह वर्ष 2011 तक जारी रहा। इसके उपरांत आयोग ने इस व्यवस्था को समाप्त किया। तदोपरांत में केवल उन अभ्यर्थियों को बुलाया जाने लगा जिनमें अनुसूचित जातिजनजाति के अभ्यर्थी कम से कम 20 फीसद अंक प्राप्त करेंगे, ओबीसी 25 फीसद और सामान्य वर्ग 30 फीसद की यह सीमा 2018 तक चलती रही। इसके बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई।
जुगरान ने कहा है कि उनकी चिंता यह है कि वर्तमान में उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग में कौन सी व्यवस्था से अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जा रहा है। क्या शून्य अंक वाली व्यवस्था या फिर अनुसूचित जाति जनजाति, ओबीसी व सामान्य अभ्यर्थियों के लिए बनायी गयी व्यवस्था।
जुगरान ने कहा की शून्य अंक प्राप्त अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने की व्यवस्था भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद, मनमर्जी, जातिगत, क्षेत्रवाद, भाषावाद, लिंगवाद आदि के आधार पर भेदभाव की व्यवस्था है।