देहरादून में साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाएं अब पुलिस के लिए एक नई चुनौती बन गई हैं। बदलते दौर में अपराध के तरीके भी तकनीक के साथ तेजी से बदल रहे हैं। अब जरूरत हाईटेक हथियारों की नहीं, बल्कि साइबर टेक्नोलॉजी में दक्षता की है। बीते एक साल के भीतर उत्तराखंड में साइबर ठगों ने करीब 150 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया है। इन अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधी इतनी चतुराई से काम करते हैं कि पुलिस की सोच से कई कदम आगे नजर आते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के आने से तो साइबर ठगी को जैसे और भी बढ़ावा मिल गया है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अपराधी एआई तकनीक का इस्तेमाल कर आम लोगों को भ्रमित कर रहे हैं और मिनटों में उनकी मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर दे रहे हैं। साइबर अपराधियों की यही होशियारी पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। जैसे ही पुलिस किसी एक फ्रॉड के पैटर्न को समझ पाती है, तब तक अपराधी नया तरीका ईजाद कर लेते हैं।
उत्तराखंड साइबर पुलिस स्टेशन के पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा ने बताया कि साल 2024 में प्रदेशभर से करीब 24 हजार साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें कुल 150 करोड़ रुपये की ठगी की गई। हालांकि साइबर पुलिस की तत्परता से इनमें से लगभग 28 से 30 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा सकी है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस लगातार आम लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है, ताकि वे साइबर ठगी का शिकार न बनें।
आज के समय में जब साइबर अपराधी एआई और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल कर अपराध को अंजाम दे रहे हैं, तब पुलिस को भी उसी स्तर की तकनीकी समझ और तत्परता की जरूरत है। वरना अपराधियों की यह रफ्तार आम लोगों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है