प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना को लेकर केंद्र सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब तक यह योजना देश की सबसे बड़ी 500 कंपनियों तक सीमित थी, लेकिन अब सरकार इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी में है। इसके तहत उन तमाम कंपनियों को भी जोड़ा जाएगा जो कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी यानी सीएसआर के तहत काम करती हैं।
सरकार का मानना है कि इससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इंटर्नशिप के मौके मिल सकेंगे और कंपनियों को भी नई प्रतिभाओं को तराशने का मौका मिलेगा। इस योजना को अब तक प्रयोग के तौर पर चलाया जा रहा था, लेकिन अब इसे बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना बनाई जा रही है। कैबिनेट के सामने प्रस्ताव पेश करने की तैयारी भी चल रही है।
इस योजना के पहले हिस्से में करीब एक लाख सत्ताईस हजार इंटर्नशिप के मौके दिए गए थे। दूसरे दौर में एक लाख पंद्रह हजार प्रस्ताव आए। दिसंबर दो हजार चौबीस से लेकर अब तक लगभग अट्ठाईस हजार छात्रों ने इन मौकों को स्वीकार किया है और इनमें से करीब आठ हजार सात सौ छात्रों ने अपनी इंटर्नशिप शुरू कर दी है।
वर्ष दो हजार बाईस तेईस में सीएसआर पोर्टल के मुताबिक चौबीस हजार से ज्यादा कंपनियां सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं। शुरू में इस योजना में सिर्फ उन्हीं पांच सौ कंपनियों को जोड़ा गया था जो सीएसआर खर्च के मामले में सबसे ऊपर हैं। लेकिन अब सरकार चाहती है कि बाकी कंपनियों को भी इस योजना में लाया जाए। कंपनियों को यह भी छूट होगी कि वे अपने आपूर्तिकर्ताओं या ग्राहकों को भी इस योजना से जोड़ सकें।
फिलहाल यह योजना पूरी तरह स्वैच्छिक है। यानी कंपनियों पर कोई दबाव नहीं है। वे चाहें तो इस योजना को अपना सकती हैं। जो कंपनियां अब तक इससे नहीं जुड़ी हैं उन्हें कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से अनुमति लेकर इसमें शामिल होना होगा।
सिर्फ कंपनियों की संख्या ही नहीं बल्कि युवाओं की उम्र सीमा में भी बदलाव की संभावना है। अभी योजना का लाभ केवल इक्कीस से चौबीस साल के युवाओं को मिलता है लेकिन अब सरकार चाहती है कि आईटीआई और पॉलिटेक्निक से पास होने वाले युवाओं को भी इसका फायदा मिले। इसका मकसद है कि अधिक से अधिक युवाओं को काम का सीधा अनुभव मिल सके।
प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना का असली मकसद यही है कि पढ़ाई के साथ ही युवाओं को कंपनियों में काम करने का मौका मिले। इससे उन्हें नौकरी पाने में आसानी होगी और वे असल दुनिया की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। कंपनियां कुछ महीनों के लिए इन युवाओं को अपने यहां काम देती हैं और बदले में उन्हें स्टाइपेंड भी दिया जाता है।
इस योजना के तहत युवा छात्रों को हर महीने पांच हजार रुपये स्टाइपेंड दिया जाता है। साथ ही छह हजार रुपये की एकमुश्त मदद भी मिलती है। इसके अलावा जीवन और दुर्घटना बीमा का कवरेज भी होता है। कुछ कंपनियां इसमें अतिरिक्त सुरक्षा भी देती हैं।
सरकार को उम्मीद है कि अगर यह योजना और बड़ी कंपनियों तक पहुंचती है तो देश के लाखों युवाओं को इसका सीधा फायदा मिलेगा और देश को कुशल कामगार भी मिलेंगे।