स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों के बीच डायबिटीज जैसी बीमारी जिस तरह फैल रही है, उससे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अब सचेत हो गया है. बोर्ड ने सभी स्कूलों को इस खतरे से निपटने के लिए शुगर बोर्ड बनाने का निर्देश जारी किया है. इसका मकसद बच्चों को यह बताना है कि पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक और बाकी प्रोसेस्ड चीजें कैसे उनकी सेहत को चुपचाप बिगाड़ रही हैं.
अब स्कूलों में इस शुगर बोर्ड के ज़रिए सेमिनार और वर्कशॉप करवाई जाएंगी. इनमें जानकार डॉक्टर और एक्सपर्ट बच्चों को बताएंगे कि चीनी कैसे शरीर को नुकसान पहुंचाती है और किस तरह से ये मीठा जहर डायबिटीज की शक्ल में सामने आता है.
शिक्षा मामलों के जानकार देव शर्मा ने बताया कि सीबीएसई ने देशभर के सभी स्कूलों के प्रिंसिपल को साफ निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों की डाइट पर नजर रखें और मीठी चीजों की खपत को कम करने के लिए स्कूल स्तर पर जरूरी कदम उठाएं. बोर्ड ने ये भी कहा है कि बीते दस सालों में बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज तेजी से बढ़ी है. जो पहले सिर्फ बड़े लोगों में देखने को मिलती थी, अब स्कूल जाने वाली उम्र में ही बच्चे इसकी चपेट में आने लगे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण उनके खानपान में चीनी की बढ़ती मात्रा है.
सीबीएसई की इस पहल को बच्चों की सेहत के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि इससे आने वाले समय में बच्चों को मीठे के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकेगा.