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बड़ी खबर : भाजपा विधायक की चिट्ठी ने उत्तराखंड में मचाया घमासान, अपनी ही सरकार में मंत्री पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

Newsdesk Uttranews
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उत्तराखंड मैं पिछले कुछ दिनों से चल रहा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में लगातार कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी में उनके ही नेता पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

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बीजेपी में पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लगातार चिट्टियां सामने आ रही हैं, जो सरकार के लिए चिंता का सबब बनी हुई है और ऐसी ही एक चिट्ठी आज भी सामने आई है, जो किसी और ने नहीं बल्कि खुद भाजपा के विधायक ने लिखी हैं और अपनी ही सरकार में मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए हैं। चलिए जानते हैं कौन हैं नेता और क्या लगाए आरोप।


हरक सिंह रावत भले ही सरकार से अपनी सारी मांगे मनवा ले रहे हो लेकिन भाजपा के ही कुछ नेता उनसे नाराज चल रहे हैं। इनमें से ही एक विधायक है महंत दिलीप रावत। हालांकि दिलीप रावत ने हरक का नाम तो नहीं लिया, लेकिन जो बयान उन्होंने दिया है उसका इशारा हरक की ओर ही है।

उन्होंने पहले कहा था कि, “विधानसभा सीट पर कुछ नेताओं की गिद्ध की दृष्टि है और अब उनका एक लैटर सामने आया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मेरी विधानसभा के अंतर्गत कालागढ़ वन प्रभाग वह लैंसडौन वन प्रभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की और आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। उक्त प्रभावों में टाइगर सफारी, दीवार निर्माण, भवन निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपए के कार्य नियमों को ताक पर रखकर करवाए जा रहे हैं। यह पत्र दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखा है।


उन्होंने आगे लिखा कि एक तरफ वन अधिनियम की आड़ में कोटद्वार कालागढ़ मार्ग पर यातायात प्रतिबंधित कर दिया गया है, तो वहीं दूसरी ओर वन अधिनियम की अनदेखी कर आवेदन कर वन भूमि पर निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं। इसी प्रकार कोटद्वार में विगत 4 वर्षों में अवैध खनन एवं हाथी दीवार का कार्य कर करोड़ों रुपए का कार्य बिना निविदा के किया जा रहा है।


उन्होंने आगे लिखा कि मेरे द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, दूसरी ओर ईमानदार मुख्य वन संरक्षक को पद से हटा दिया गया। ताकि उक्त अवैध कार्यों पर परदा डाला जा सके। वन प्रभाग अधिकारी लैंसडौन दीपक सिंह के द्वारा राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, उसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर समस्त प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच की जाए तो इस में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।