भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) 78% प्रभावी, तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण के आये नतीजे

Newsdesk Uttranews
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गंभीर कोविड-19 रोग के खिलाफ 100% एफीकेसी

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29 अप्रैल 2021

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भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा विकसित कोवैक्सीन (Covaxin) के तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण के परिणाम आ गये है। इसके अनुसार कोवैक्सीन की ओवरआल क्लीनिकल एफीकेसी 78% और गंभीर कोविड-19 रोग के खिलाफ एफीकेसी 100% है।

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बताते चले कि कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने पूरे विश्च को हलकान किया हुआ है और भारत में हर दिन इसकी खौफनाक तस्वीर सामने आ रही है।
इससे निपटने के लिये दुनिया भर में कई तरह वैक्सीन (Covaxin) तैयार की गई है और इसके बाद टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।

भारत में भी 14 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है। भारत में दो वैक्सीन तैयार हो रही है जिनमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन (Covaxin) शामिल है। भारत में टीकाकरण अभियान जारी है औ अभी तक 14 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है।

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भारत में बड़ी आबादी को देखते हुए टीके की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है और केंद्र सरकार ने देश के भीतर टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इसके अलावा भारत 90 से अधिक देशों को भारत निर्मित टीकों की आपूर्ति भी कर रहा है।

1 मई से भारत में टीकाकरण के तीसरे चरण में भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण 1 मई से शुरू हो रहा है। यह भारत के टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण होगा। पिछले हफ्ते भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने भारत में बनाई गई कोवैक्सीन (Covaxin) के तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण परिणामों की घोषणा की।

एफीकेसी क्या है ?

किसी भी वैक्सीन की एफीकेसी नैदानिक परीक्षण के दौरान की गई एक व्यक्तिगत-स्तर की जांच है, जो इस बात की जानकारी प्रदान करता है कि नैदानिक परीक्षण की शर्तों के तहत वैक्सीन कितनी अच्छी तरह से काम करती है। वैक्सीन एफीकेसी हमें बताती है कि क्लिनिकल ट्रायल से बाहर के लोगों में वैक्सीन सामान्य परिस्थितियों में कितनी अच्छी तरह से काम करती है। उदाहरण के लिए, अलग-अलग उम्र या नस्लों के लोग, विभिन्न भौगोलिक स्थानों के निवासी, पर वैक्सीन कितनी प्रभावी है, यह उसकी एफीकेसी बताती है।

कोवैक्सीन इम्यून सिस्टम को करती है प्रोम्प्ट

यह एक निष्क्रिय वैक्सीन है, जिसका अर्थ है कि इसे मृत वायरसों से बनाया गया है। यह मनुष्य के शरीर को संक्रमित नहीं करता, बल्कि बॉडी के इम्यून सिस्टम को कुछ इस तरीके से तैयार करता है ताकि वह बाहरी संक्रमणों से लड़ने में सक्षम बन सके।

इसको भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने विकसित किया है। इसमें इम्यून सेल्स कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रोम्पट करती हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने मंगलवार को खबर दी कि कोवैक्सीन (Covaxin) प्रतिरक्षा तंत्र को सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना सिखाकर काम करती है। ये एंटीबॉडीज वायरल प्रोटीन अर्थात स्पाइक प्रोटीनों से जुड़ जाते हैं, जो इसकी सतह पर फैल जाते हैं।

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यह कोरोना के कई स्ट्रेंस से सुरक्षा प्रदान करने में भी है सक्षम

राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ साझेदारी में भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन (Covaxin) के आपातकालीन प्रयोग को तीन जनवरी को मंजूरी मिली थी। परीक्षण के परिणामों में बाद यह सामने आया कि यह टीका 78 फीसदी तक प्रभावी है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 21 अप्रैल को यह जानकारी दी थी कि वैक्सीन ले चुके प्रति 10,000 व्यक्तियों में से सिर्फ 2-4 लोग ही संक्रमित पाए जा रहे हैं इसके अनुसार कोवैक्सीन (Covaxin) की दोनों डोज ले चुके लोगों में 0.04 प्रतिशत लोगों में ही संक्रमण पाया गया है। इसे कोरोना के कई स्ट्रेंस से सुरक्षा प्रदान करने में भी सक्षम पाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी इस विषय पर ट्वीट करते हुए अपनी खुशी जाहिर की थी।

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