चारधाम यात्रा से पहले उत्तराखंड प्रशासन ने आपदाओं से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए व्यापक अभ्यास किया। 24 अप्रैल, गुरुवार को राज्य के चार जिलों में एक साथ कई जगहों पर मॉक ड्रिल की गई, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्यों को बेहतर ढंग से अंजाम दिया जा सके। यह मॉक ड्रिल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की देखरेख में की गई, जिसमें विभिन्न घटनाओं की स्थिति बनाकर प्रशासन की तात्कालिक प्रतिक्रिया की जांच की गई।
चमोली जिले में पागल नाल क्षेत्र में बड़े भूस्खलन की स्थिति दर्शाई गई, जिससे मुख्य मार्ग पूरी तरह बंद हो गया और वहां तीर्थयात्री फंस गए। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा, राहत और भोजन-पानी जैसी व्यवस्थाओं को किस तरह अंजाम दिया जाएगा, इसका अभ्यास किया गया। इसी जिले के बदरीनाथ क्षेत्र में सुबह भूकंप आने की स्थिति बनाई गई। इस दौरान भारी बारिश और खराब मौसम के बीच अचानक आई इस आपदा से घबराई भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की रणनीतियों को परखा गया। इसके अलावा चमोली में ही एक बस हादसे की भी मॉक ड्रिल की गई, जिसमें दिखाया गया कि तीर्थयात्रियों से भरी एक बस 400 फीट गहरी खाई में गिर गई है और कुछ हिस्सा अलकनंदा नदी में समा गया है। ऐसे में बचाव दल किस तरह घायलों को बाहर निकालेंगे और उन्हें इलाज मुहैया कराएंगे, इसका अभ्यास हुआ।
उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली गार्डन नामक स्थान पर बादल फटने की घटना का दृश्य बनाया गया। यहां तेजी से आई बाढ़ के कारण सड़क बंद हो गई और सैकड़ों यात्री फंस गए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से यात्रियों को सुरक्षित निकालने और प्राथमिक सहायता देने की तैयारी को परखा गया।
रुद्रप्रयाग जिले में फाटा से केदारनाथ की ओर जा रहे एक हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति बनाई गई। इस दौरान आपातकालीन सहायता, घायलों को निकालना और स्थान पर पहुंचने वाले राहत दलों की तत्परता को देखा गया।
देहरादून जिले के ऋषिकेश में चारधाम यात्रा के लिए बनाए गए ट्रांजिट कैंप में आग लगने की स्थिति को दिखाया गया। यहां 600 से अधिक तीर्थयात्री मौजूद थे, जब अचानक तेज हवा के बीच आग फैल गई और कई टेंट व रसोईघर इसकी चपेट में आ गए। इस भयावह स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने और आग पर काबू पाने की व्यवस्था परखने की कोशिश की गई।
हरिद्वार के हरकी पैड़ी में भीड़भाड़ के कारण भगदड़ मचने की स्थिति तैयार की गई, जहां विशेष स्नान के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित थे। इस अफरातफरी में कई लोग गंगा के तेज बहाव में बह जाते हैं, जिनको बचाने और भगदड़ को नियंत्रित करने की रणनीतियों को भी मॉक ड्रिल के जरिए आजमाया गया।
टिहरी और पौड़ी जिलों में भी अलग-अलग घटनाओं की स्थिति बनाकर आपात हालातों से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया गया। इस व्यापक अभ्यास का उद्देश्य यही था कि किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति में जान-माल का कम से कम नुकसान हो और सभी विभाग मिलकर प्रभावी रूप से कार्य कर सकें।