एक अप्रैल 2024 से बैंक या एनबीएफसी से लिए गए लोन के डिफॉल्ट होने पर जुर्माने से जुड़ा नया नियम लागू होने वाला है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते सोमवार को इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बैंको और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को रेवेन्यू ग्रोथ के लिए कर्ज चूक शुल्क लगाने से रोकने वाली संशोधित निष्पक्ष उधारी प्रणाली 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। राजस्व बढ़ाने के एक साधन के तौर पर बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनिया कर्ज चुकाने में चूक पर दंडात्मक शुल्क लगाते है। आरबीआई ने बीते वर्ष 18 अगस्त 2023 में मानदंडों पर संशोधन किया था। जिसके तहत बैंक या एनबीएफसी सिर्फ उचित डिफॉल्ट चार्ज ही लगा सकेंगे।
बैंको,एनबीएफसी और आरबीआई से विनियमित दूसरी संस्थाओं को यह संशोधित मानदंड लागू करने के लिए महीने का विस्तार देते हुए अप्रैल तक का समय दिया है। समूह का कहना है कि यह निर्देश 1 अप्रैल 2024 लागू हो जाएंगे। इसके साथ ही आरबीआई ने यह भी कहा कि जून तक आने वाली रिन्यूअल तारीख पर नई दंड शुल्क व्यवस्था में बदलाव सुनिश्चित किया जाएगा।
अगस्त 2023 के गाइडलाइंस लोन रिपेमेंट में चूक के मामले में भी लागू होने के बारे में आरबीआई ने कहा है कि ऐसी चूक रिपेमेंट करार के महत्त्वपूर्ण नियमो और शर्तो का उल्लघंन है, यहां तक कि दंडात्मक शुल्क लगाया जा सकता है। बैंक ऐसे लोन अकाउंट के बारे में इंफॉर्मेशन यूटिलिटी सर्विसेज को अतिरिक्त जानकारी मुहैया कराएगी, जिन्हे फ्रॉड माना जा चुका है। एनई एस एल के डाटा के मुताबिक , देश में 10 से लेकर 100 करोड़ रुपए के लोन में डिफॉल्ट सबसे अधिक है।