लक्षद्वीप में रहने वाली आयशा सुल्ताना पर प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को जैविक हथियार करार देने के मामले में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के बाद भाजपा की राज्य इकाई में दो फाड़ की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ पार्टी अध्यक्ष ने आयशा पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करवाया है तो दूसरी ओर पार्टी के 15 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है।
त्यागपत्र देने वाले नेताओं का कहना है कि आयशा सुल्ताना पर लगाए गए आरोप गलत और झूठे हैं। इस्तीफा देने वाले नेताओं ने कहा कि वह आयशा सुल्तान के फैसले के साथ हैं। कावारत्ती पुलिस ने भाजपा लक्षद्वीप इकाई के प्रमुख सी अब्दुल खादर हाजी की शिकायत पर सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।
एक मलयालम टीवी समाचार चैनल पर डिबेट के दौरान आयशा सुल्ताना ने प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के फैसलों पर द्वीप में कोविड मामलों को दोषी ठहराया और टिप्पणी की कि केंद्र ने लक्षद्वीप के खिलाफ “जैव-हथियार” का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भाजपा केंद्रशासित प्रदेश अध्यक्ष ने राजद्रोह का केस दर्ज करवाया। भाजपा से इस्तीफा देने वाले पदाधिकारियों ने कहा कि सुल्ताना के खिलाफ हाजी के आरोप झूठे थे और उनका मकसद उनका और उनके परिवार के भविष्य को बर्बाद करना था। त्यागपत्र सौंपने वाले नेताओं ने यह भी कहा कि पूरी भाजपा इकाई प्रशासक पटेल की लोकतांत्रिक विरोधी, जनविरोधी नीतियों से अवगत है। हम सब आयशा के विचार से सहमत हैं।
पार्टी से इस्तीफा देने वालों में भाजपा के राज्य सचिव अब्दुल हामिद मुल्लीपुरा, वक्फ बोर्ड के सदस्य उम्मुल कुलूस पुथियापुरा, खादी बोर्ड के सदस्य सैफुल्ला पक्कियोडा, चेतलाट इकाई के सचिव जाबिर सलीहथ मंजिल और पार्टी कार्यकर्ताओं शामिल हैं। लक्षद्वीप में भाजपा इकाई के भीतर पटेल के प्रस्तावों पर भारी आक्रोश है ।
दरअसल, पिछले दिनों एक टीवी चैनल डिबेट के दौरान फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना ने कहा कि लक्षद्वीप में अभी तक कोरोना का एक भी केस नहीं था, लेकिन अब हर रोज 100 केस सामने आ रहे हैं। मैं स्पष्ट तौर से कह सकती हूं कि केंद्र सरकार ने बायो वेपन के तौर पर प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की तैनाती की है। वह यहां पर अलोकतांत्रिक, जनविरोधी नीतियों को लागू कर रहे हैं, जिससे कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आयशा सुल्ताना के बयान के बाद भाजपा ने इसकी कड़ी आलोचना की और उसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करवाया। वहीं केंद्रशासित प्रदेश की भाजपा इकाई के कई नेता इस कार्रवाई पर नाराजगी जता चुके हैं। यहां तक कि एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने पार्टी भी छोड़ दी है।