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अल्मोड़ा,7 अगस्त 2021
आशाओं को भी आंगनबाड़ी की तरह मानदेय दिए जाने और समस्याओं का समाधान करने के लिए चल रहा आंदोलन कार्यबहिष्कार के चरण में पहुंच गया है। आशा वर्कर्स ने ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले धरना देकर कार्य बहिष्कार हड़ताल शुरु कर दी है।
आशा नेताओं ने कहा कि लंबे समय से काम के बदले मानदेय पिक्स करने की लड़ाई लड़ रही आशाओं को आंगनबाड़ी की तरह मानदेय फिक्स किया जाय और अन्य मांगों पर ध्यान दिया जाए।
वक्ताओं ने कहा कि आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ती यूनियन के संयुक्त आहवान पर 2 अगस्त से पूर्ण कार्य बहिष्कार कर पूरे राज्य में प्रदर्शन किया जा रहा है।
ब्लॉक अध्यक्ष ममता तिवारी ने कहा कि आशाओं के श्रम का लगातार शोष खुद सरकार ही कर रही लेकिन अब पानी सर के ऊपर से गुजर गया है इसलिए आशाएं अब और बधुवा मजदूरी नहीं करेंगी।कहा गया कि पहले से ही काम के बोझ तले दबी आशाओं को मोदी सरकार आने के बाद और भी ज्यादा किस्म के विभिन्न कामों में लगा दिया गया है लेकिन जब जब काम के एवज में मासिक वेतन या मानदेय देने की बात आती है तो आशाओं स्वैच्छिक कार्यकर्ता बता दिया जाता है।
सरकार ने शोषण करने का अद्भूत तरीका खोज निकाला है कि कोविड से लेकर पल्स पोलियो, टीकाकरण, मातृ शिशु सुरक्षा, सर्वे, गणना, परिवार, मलेरिया, डेंगू की जागरुकता के लिए घर-घर जाने तक सारे काम आशाओं से कराओ और वेतन की बात आते ही सामाजिक कार्यकर्ता के नाम का सम्मान देकर इतिश्री कर लो। नए-नए तरीके अपनाकर आशाओं को शोषण अब नहीं चलेगा। आशा वर्कर्स अपना अधिकार हासिल करके रहेंगी।
जिला अध्यक्ष जानकी गुरुरानी, अध्यक्ष ममता तिवारी, कोषाध्यक्ष पूजा बगड़वाल, प्रेमा मेहरा, हेमा देवी, जानकी देवी, दीपा वर्मा, चंद्रा बिष्ट आदि आंदोलन में शामिल रही।