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इसे कहते हैं खयाली पुलाव! करोड़ों की लागत का मेडिकल कॉलेज तो बनाया लेकिन पानी की व्यवस्था करना भूल गए अभी भी स्पष्ट नहीं है कहां से आएगा पानी

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। अल्मोड़ा में करीब 15 वर्ष से मेडिकल कॉलेज के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है बाहरी ढांचे के अलावा प्रशासनिक भवन और डॉक्टरर्स हॉस्टल पूरा का कार्य पूरा हो चुका है। सरकार निरीक्षण के लिए कई बार मेडिकल काउंसलिंग की टीम को मान्यता के लिए बुला चुके हैं। दावा है कि मान्यता मिलते ही कक्षाएं शुरू कर दी जाएगी। लेकिन पूरे प्रोजेक्ट के दौरान अब प्लानिंग की अनदेखी सामने आ रही है। वह यह है कि प्लानर इस कॉलेज और इससे जुड़े ​परिसरों के लिए पानी की व्यवस्था करने की प्लानिंग ही भूल गए। अब जब जल संस्थान ने पानी देने के लिए एक प्रकार से हाथ खड़े कर दिए गए हैं तब यह बात तेजी से उठ रही है कि मेडिकल कॉलेज को पानी कहां से मिलेगा।
मेडिकल कालेज 223 करोड़ की लागत से बन रहा है। प्लानर यह भूल गये कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में पढ़ने वाले और रहने वाले लोगों को पानी की भी जरुरत पडेगी।अब जब 60 फीसदी से अधिक निर्माण हो गया अब प्लानरों को पानी की भी याद आ रही है।
अल्मोड़ा मेडिकल कालेज की स्वीकृति 2004 में हुई और 2012 में निर्माण कार्य शुरु हुआ, जिसमें प्रशासनिक भवन , लैब, हास्पिटल. और आवासीय भवनों का निमार्ण पूरा होने वाला है। लेकिन हैरानी की बात यह हैं कि इसके पेयजल की व्यवस्था का कोई ज्रिक ही नही है। यहां 14 डांक्टरों की नियुक्ति भी हो गयी हैं और संविदा में चतुर्थ वर्ग के स्टाफ को भी रखा जा रहा है।
सवाल यह उठता है कि मेडिकल कालेज की डीपीआर तैयार करते समय हमारे प्लानर पानी की योजना को अपनी डीपीआर में रखना ही भूल गये। अब जब एमसीआई की टीम भी कालेज को मान्यता देने के लिए कई चक्कर लगा चुके है तब पानी की आवश्कता की याद प्लानरों को आ रही है। स्थानीय विधायक कुछ गांवों को मिलाकर मेडिकल कालेज के लिए पंपिग योजना बनाने की बात कर रहे है। मेडिकल कॉलेज के वित्त नियंत्रक एमएल टम्टा ने बताया कि इसके लिए उच्च अधिकारियों के साथ ही पेयजल विभाग से भी लगातार वार्ता की जा रही है। पता लगा है कि बेस चिकित्सालय के पास डाक्टर हॉस्टल है जहां रहने वाले डाक्टर भी बाजार से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। इधर पता लगा है कि जलसंस्थान ने भी फिलहाल वहां पानी की व्यवस्था करने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। इस संस्थान को करीब 18 हजार लीटर पानी की जरूरत है।यह भी पता लगा है कि जलनिगम मेडिकल कॉलेज के आस पास के परिसर और गांवों का मिलाकर नई योजना बनाने का प्रस्ताव बनाने का प्रयास कर रही है। अब कब यह योजना ​बनती है और कब इसका फायदा मेडिकल कॉलेज को मिलता है यह भविष्य के गर्त में है।

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