अल्मोड़ा, 25 फरवरी 2021
अल्मोड़ा (Almora) वनाग्नि की घटनाओं से निपटने के लिए वन विभाग इस बार मिशन मूड में कार्य करने की योजना तैयार कर रहा है। विभाग द्वारा वर्ष 2015 लीसा फसल का निर्धारण कर लिया गया है।
जिसके अंतर्गत वन प्रभाग, अल्मोड़ा (Almora) के अलग—अलग रेंजों के कुल 555 वन पंचायतों के खातों में 2 करोड़ 62 लाख 98 हजार 876 रुपये की धनराशि ट्रांसफर की जाएगी। अल्मोड़ा रेंज से इसकी शुरूआत होगी। इसके लिए विभाग ने तैयारियां तेज कर दी है।
यहां वन प्रभाग कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने कहा कि 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो चुका है। हालांकि, अभी कुछ क्षेत्रों में ही वनाग्नि की घटनांए सामने आई है। गर्मी बढ़ने के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
डीएफओ ने कहा कि सीमित स्टाफ होने व आवश्यक उपकरणों की कमी के चलते वनाग्नि की घटनाओं से निपटने में काफी दिक्कतें सामने आती है। लेकिन इस बार वन विभाग मिशन मूड में कार्य करने की योजना बना रहा रहा है ताकि वनों को आग से बचाया सके।
इस दौरान उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि आरक्षित, सिविल व वन पंचायतों में लीसे का उत्पादन किया जाता है। वन पंचायतों में होने वाले लीसा उत्पादन में विभागीय खर्चे को काटने के बाद शेष धनराशि रायल्टी के रूप में वन पंचायत निधि में डाली जाती है।
उन्होंने बताया कि 2015 लीसा फसल का निर्धारण कर लिया गया है। अल्मोड़ा वन प्रभाग के अलग—अलग रेंज की कुल 555 वन पंचायतों में 2 करोड़ 62 लाख की धनराशि वितरित की जानी है। जिसकी प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है।
उन्होंने कहा कि पंचायत निधि में लीसा रॉयल्टी ट्रांसफर करने की शुरूआत अल्मोड़ा (Almora) रेंज से होगी। 26 फरवरी यानि कल एनटीडी स्थित वन चेतना केंद्र में कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
अल्मोड़ा (Almora) वन क्षेत्र की 108 वन पंचायतों को लीसा रॉयल्टी का 44 लाख 71 हजार 171 रुपये का भुगतान किया जाएगा। लीसा रॉयल्टी को वनाग्नि रोकथाम में किस प्रकार प्रयोग किया जा सकता है इसको लेकर कार्यशाला में विस्तृत रूप से चर्चा की जाएगी।
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प्रभागीय वनाधिकारी यादव ने कहा कि जनपद में करीब 2100 वन पंचायतें है। जिसमें रोजगार की काफी संभावनाएं है। उत्तराखंड वन पंचायती नियमावली, 2005 संसोधित 2012 के द्वारा वन पंचायतों को अनेक अधिकार दिए गए है। वन सरपंच तथा वन पंचायत प्रबंधन समिति को वन पंचायत की अतिक्रमण, अवैध पातन, अवैध खनन, वनाग्नि से सुरक्षा की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है।
उन्होंने कहा कि यदि सभी वन संरपच अपने—अपने क्षेत्रों की सुरक्षा का प्रयास करें तो वनाग्नि रोकथाम में सफलता मिल सकती है और पर्यावरण व वन्यजीवों की सुरक्षा हो सकती है।
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डीएफओ ने कहा कि जनपद के अंतर्गत करीब 70 हजार हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि, 70 हजार हेक्टेयर वन पंचायत क्षेत्र तथा 40 हजार हेक्टेयर सिविल वन क्षेत्र है। जिसमें फायर सीजन के दौरान वनाग्नि की घटनाएं सामने आ सकती है। उन्होंने अधिकारियों, कर्मचारियों, राजस्व विभाग, ग्राम प्रधान, सरपंच व आम नागरिकों से वनाग्नि की रोकथाम के लिए सहयोग करने की अपील की है।
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