अहमदाबाद में लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट क्रैश, पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी थे सवार

अहमदाबाद के मेघाणी नगर इलाके में सोमवार की सुबह अचानक भगदड़ मच गई जब एयर इंडिया का एक प्लेन टेक ऑफ के तुरंत बाद रिहायशी…

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अहमदाबाद के मेघाणी नगर इलाके में सोमवार की सुबह अचानक भगदड़ मच गई जब एयर इंडिया का एक प्लेन टेक ऑफ के तुरंत बाद रिहायशी इलाके पर गिर पड़ा। इस विमान में दो सौ बयालीस लोग सवार थे। हादसा इतना भयानक था कि इलाके में धुएं का घना गुबार फैल गया और हर तरफ चीख पुकार मच गई। लोगों की आंखों के सामने आसमान से गिरता प्लेन और कुछ ही सेकंड में उठता धुआं देख हर कोई दहल उठा। एयरपोर्ट के पास के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं और राहत बचाव का काम लगातार जारी है। कई टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं। प्लेन में आग लग गई थी जिसे बुझाने की कोशिश की जा रही है।

ऐसे हादसे जब होते हैं तो लोगों के मन में एक सवाल बार बार आता है कि आखिर फ्लाइट में सबसे सेफ सीट कौन सी होती है जहां बैठने पर जान बचने का ज्यादा चांस होता है। बहुत से रिसर्च और पुराने हादसों की घटनाएं बताती हैं कि फ्लाइट के पिछले हिस्से में बैठे यात्री कई बार बच जाते हैं। एक बार साउथ कोरिया में प्लेन गिरा था जिसमें पूरा विमान जल गया था लेकिन पीछे की कुछ सीटों पर बैठे लोग किसी तरह जिंदा बाहर निकाले गए थे। कजाखस्तान की एक घटना में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। कई एक्सपर्ट मानते हैं कि टेक ऑफ या लैंडिंग के वक्त विमान का अगला हिस्सा जमीन से पहले टकराता है और सबसे ज्यादा नुकसान वहीं होता है जबकि पीछे की तरफ का हिस्सा थोड़ा देर से या कम ताकत से टकराता है जिससे वहां जान बचने की संभावना थोड़ी ज्यादा रहती है।

हालांकि हर हादसे में ऐसा हो ये जरूरी नहीं है क्योंकि दुर्घटना का तरीका मौसम रनवे की स्थिति और पायलट के फैसले जैसी कई बातें तय करती हैं कि कौन कितना बच पाएगा। फ्लाइट के पिछले हिस्से में बैठने में थोड़ी असुविधा जरूर होती है जैसे वहां ज्यादा शोर होता है या लेग स्पेस कम होता है लेकिन जब बात जान की हो तो ये बातें छोटी लगती हैं। कुछ रिसर्च में ये भी सामने आया है कि विमान के बीच की सीटें सबसे खतरे में होती हैं क्योंकि वहां पंखों के पास फ्यूल टैंक होता है और आग लगने या ब्लास्ट होने का खतरा ज्यादा रहता है।

टाइम मैगजीन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले पैंतीस साल में जो हादसे हुए उनमें पीछे की सीटों पर बैठे लोगों की मौत का खतरा अट्ठाईस फीसदी था जबकि बाकी हिस्सों में ये आंकड़ा चवालीस फीसदी तक रहा। इसका मतलब ये नहीं कि पीछे बैठना पूरी तरह सेफ है लेकिन सांख्यिकीय तौर पर थोड़ा फर्क जरूर पड़ता है। सबसे जरूरी बात ये है कि फ्लाइट में बैठते वक्त दी जाने वाली सेफ्टी जानकारी को ध्यान से सुना जाए। सीट बेल्ट हमेशा बांधकर रखें और किसी भी इमरजेंसी में घबराने के बजाय समझदारी से काम लें। प्लेन में कोई भी सीट पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होती लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर हादसे के वक्त बचने का मौका बढ़ाया जा सकता है। अहमदाबाद की ये घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि हवाई सफर में सावधानी कितनी जरूरी है।