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दिल्ली चुनावों में उत्तराखं​डियों को टिकट ना देना थी ‘आप’ (aap) की बड़ी ग़लती’ : उमा सिसोदिया

Newsdesk Uttranews
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आम आदमी पार्टी (aap) द्धारा उत्तराखण्ड में आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भागीदारी करने के ऐलान के बाद से भाजपा और कांग्रेस दोनो दलों में बैचेनी है। उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी क़ाफ़ी ज़ोर आजमाइश करती भी दिख रही है।

पार्टी (aap)के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीते एक हफ़्ते में उत्तराखंड के दो दौरे कर यहां की राजनीति की नब्ज़ टटोलने की कोशिश की है। उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में क्या सोचती है आम आदमी पार्टी, आम आदमी पार्टी (aap) उत्तराखंड की राजनीति में दख़लअंदाज़ी के लिए क्या रणनीति बना रही है और उसके यहां आने से क्या कुछ नए समीकरण उभर रहे हैं इन सवालों की पड़ताल के लिए हमारे सहयोगी पत्रकार रोहित जोशी ने आम आदमी पार्टी, उत्तराखंड की प्रवक्ता उमा सिसोदिया से बातचीत की है। पढ़ें बातचीत के अंश

रोहित जोशी – आम आदमी पार्टी (aap) ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया का दौरा भी इसी क्रम में रहा है और उसे रिस्पॉंस भी मिला है. क्या तैयारी है पार्टी की, क्या रणनीति है उत्तराखंड चुनावों को लेकर?

उमा सिसोदिया – आम आदमी पार्टी (aap) 2022 का चुनाव उत्तराखंड विधानसभा की सभी 70 सीटों में लड़ेगी

और हमारा प्रमुख मुद्दा यही है कि उत्तराखंड में विपक्ष की अभी शून्यता की स्थिति है। कॉंग्रेस इतने ज़्यादा गुटों में बंटी हुई है कि कॉंग्रेस में कोई एक ऐसा सर्वमान्य नेता नहीं है जिसकी अंब्रेला के नीचे सारे कॉंग्रेसी चुनाव लड़ पाएं। और क्षेत्रीय दलों के लिहाज से देखें तो यूकेडी यहां पर ख़त्म हो चुकी है। उसकी जनता में कोई स्वीकार्यता नहीं है

इसलिए जो यहां पर विपक्ष है वो बहुत कमज़ोर है और आम आदमी पार्टी (aap) की जो पूरी रणनीति है वो इसी बात पर है कि हम ख़ुद को एक मज़बूत विपक्ष के तौर पर जनता के सामने पेश कर पाएं।

रोहित जोशी – कॉंग्रेस और विपक्ष के बारे में तो आपकी यह राय है लेकिन भाजपा अपने आप (aap) में बहुत मज़बूत नज़र आती है। राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा दिखाई दे रहा है और राज्य में भी कोई बड़ी लहर उसके ख़िलाफ़ नज़र आती नहीं दिखती

दूसरा कॉंग्रेस के बारे में भी इतना सपाट नहीं कहा जा सकता क्योंकि कॉंग्रेस के कई नेता अपने आप में इतने प्रभावशाली हैं कि उनकी कॉंस्टिट्युएंसीज़ में उन्हें हराना बहुत आसान नहीं है ऐसे में आम आदमी पार्टी (aap) , जो उत्तराखंड में एकदम नई पार्टी है, जिसका कोई जनाधार अब तक यहां नहीं रहा है और ना ही कैडर बेस इतना बड़ा है, तो इतनी कॉंफ़िडेंस कैसे है आम आदमी पार्टी ?

उमा सिसोदिया – उत्तराखंड के तक़रीबन 30 लाख से ज़्यादा लोग दिल्ली में रहते हैं और दिल्ली में पिछले 6 सालों में केजरीवाल सरकार ने जो कुछ भी वहां काम किए हैं, उन्होंने वे काम देखें हैं। और उत्तराखंड के साथ इन प्रवासियों की कनेक्टिविटी है वह बहुत स्ट्रॉंग है। और यह हमारे लिए बहुत पॉज़िटिव साइन है

हम लोग जब गांवों में या दूसरी जगहों में कैंपेनिंग के लिए जाते हैं, तो हम लोगों से पूछते हैं कि क्या दिल्ली में आप का कोई रहता है. तो जवाब मिलता है, हॉं. तो हम पूछते हैं दिल्ली में केजरीवाल जी कुछ कर रहे हैं तो वे कहते हैं बहुत बढ़िया कर रहे हैं. तो यहां के लोगों को गांव गांव तक यह मालूम है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में काम किया है तो हमारा मानना है यही हमारा सबसे बड़ा प्लस प्वॉइंट है.

रोहित जोशी – लेकिन दिल्ली वाला जो एंगल आप बता रही हैं कि उत्तराखंड के 30 लाख प्रवासी दिल्ली में रहते हैं, इस लिहाज से देखें तो जब दिल्ली में चुनाव थे तो उत्तराखंड के लोगों को आपकी पार्टी (aap)ने कोई रिप्रेजेंटशन नहीं दिया। किसी भी उत्तराखंड मूल के किसी व्यक्ति को पार्टी (aap) ने टिकट नहीं दिया

साथ ही उत्तराखंडी लोगों के बहुतायत वाली पटपड़गंज सीट में तो ख़ुद उपमुख्यमंत्री और पार्टी के पोस्टर लीडर मनीष सिससोदिया को बहुत अच्छी जीत नहीं मिली। ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर रही हैं कि आम आदमी पार्टी का यहां स्वागत होगा?

उमा सिसोदिया – मैं इस बात को बिल्कुल मानती हूं कि दिल्ली में जो पिछले चुनाव हुए हैं 2020 के उसमें उत्तराखंडियों को रिप्रेजेंटेशन नहीं मिला, यह एक बड़ी ग़लती हमारे संगठन की रही है। दिल्ली में उत्तराखंडी केजरीवाल से नाराज़ नहीं थे लेकिन इस बात से ज़रूर नाराज़ थे कि जब आपने बिहारी लोगों को टिकट दिया या दूसरे लोगों का ध्यान रखा तो उत्तराखंडियों को भी टिकट मिलना चाहिए था।

लेकिन उत्तराखंड में हमारा सिंपल ऐजेंडा है कि यहां पर कोई भी पैराशूट कैंडिडेट नहीं होगा। जो भी टिकट दिए जाएंगे वो यहां के लोकल लोगों को ही दिए जाएंगे। तो जो ये मुद्दा है कि बाहरी कैंडिडेट की वजह से या नाराजगी की वजह से लोग हमें वोट नहीं देंगे यह मुद्दा यहीं पर ख़त्म हो जाता है।

रोहित जोशी – इधर कॉंग्रेस एक आरोप लगा रही है कि आम आदमी पार्टी (aap), उत्तराखंड में बीजेपी की ‘बी-टीम’ के तौर पर उतारी जा रही है। यह सत्तारूढ़ भाजपा के ख़िलाफ़ आक्रोशित उत्तराखंड की जनता के कॉंग्रेस की तरफ़ जा रहे वोटों को डायवर्ट कर अंतत: भाजपा को फ़ायदा पहुंचाने के लिए उत्तराखंड में उतारी जा रही है। आपका क्या कहना है इन आरोपों पर?

उमा सिसोदिया – देखिए आरोप सिर्फ़ कमज़ोर लोग लगाते हैं, जिसके पास ताक़त होती है वह किसी पर आरोप नहीं लगाता। यह बात कॉंग्रेस की कमज़ोरी को ही दर्शा रही है कि आम आदमी पार्टी (aap) के उत्तराखंड आने पर अगर सबसे ज़्यादा कोई घबरा रहा है तो वह कॉंग्रेस है।

यह कॉंग्रेस की क़मज़ोरी है कि वह अपना संगठन तो मज़बूत नहीं कर पा रहे। वो आपस में इतना बंटे हुए हैं और उनका केंद्रीय नेतृत्व भी उनका कोई दिशा नहीं दे पा रहा।। ऐसे में वो आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ प्रचार कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी (aap) बीजेपी की ‘बी-टीम’ है और हम कॉंग्रेस के वोट काटेंगे. देखिए सबका अपना अपना वोट कैडर है, हम अपनी राजनीति के अनुसार काम कर रहे हैं।

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रोहित जोशी – लेकिन एक ओवरऑल अंडरस्टेंडिंग तो ऐसी बनी है कि आम आदमी पार्टी (aap) इधर आकर बीजेपी के कोर वोट बैंक पर तो सेंध नहीं लगा पाएगी, क्योंकि उसका ठोस विचारधारात्मक आधार है।

आम आदमी पार्टी को अल्टिमेट्ली कॉंग्रेस के वोट बैंक को ही अपनी ओर डायवर्ट करना है। तो जिस तरह का क़िरदार बिहार चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने महागठबंधन के ख़िलाफ़ निभाया, आम आदमी पार्टी यहां निभा सकती है?

उमा सिसोदिया – आप अगर हमारी तुलना एक अलगाववादी पार्टी से करेंगे तो यह तुलना बहुत ग़लत है। हम लोग ओवैसी जी की पार्टी को किसी भी तरह से सपोर्ट नहीं करते क्योंकि वे देश को बांटने की बातें करते हैं। हम लोग, शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार जैसे ज़रूरी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे और हम किसी भी क़िस्म की हिंदू, मुस्लिम, जातिवादी, क्षेत्रवादी, सांप्रदायिकतावादी राजनीति का पूरी तरह से विरोध करते हैं।

मुझे लगता है कि उत्तराखंड की जो नई जनरेशन निकल रही है वो ज़रूर इस बात को दे​खेगी कि यह एक मात्र ऐसी पार्टी है जो कि विकास की बात करती है और विकास के मुद्दों पर ही काम करती है।

दिल्ली में जो केजरीवाल जी ने चुनावों में कहा कि मैंने अगर काम किया है तो मुझे वोट दीजिए, अन्यथा मत दीजिए। यही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है। आम आदमी पार्टी इस बात को लेकर भी यहां बहुत ​स्ट्रिक्ट है कि कोई शराब नहीं बांटी जाएगी, कोई पैसा नहीं बांटा जाएगा। हमारे कार्यकर्ता ख़ुद के ख़र्च से सारे कार्यक्रमों में आते हैं. हम इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं कि चाहे हमारी जमानतें दर्ज हो जाएं लेकिन हम अपने एथिक्स से कोई समझौता नहीं करेंगे।

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रोहित जोशी – उत्तराखंड, दिल्ली नहीं है. यहां का भूगोल अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, चुनौतियां अलग हैं तो स्वाभाविक है राजनीति भी अलग है। तो ऐसे में आपकी क्या राजनीति होगी और जो आपके कैंपेंस होंगे उनमें आप ऐसा क्या कहने वाले हैं जिससे उत्तराखंड के लोगों को विश्वास हो कि वे आम आदमी पार्टी (aap) को वोट करें

उमा सिसोदिया – देखिए, आम आदमी पार्टी ​ने दिल्ली में जो काम किया है वह सरकारी स्कूलों पर किया है और सरकारी अस्पतालों पर किया है। वही सेम ऐजेंडा हमारा यहां भी होगा। देखिए, पिछले तीन साढ़े तीन सालों में उत्तराखंड में 1200 सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं और यहां की जो स्वास्थ सेवाएं हैं उसके बारे में तो सब जानते हैं कि किस तरह से प्रसूताएं कच्ची पगडंडियों और सड़कों पर दम तोड़ती हैं।

एक सलीके का अस्पताल भी ये लोग पूरे उत्तराखंड में नहीं बना पाए हैं। दून हॉस्पिटल एकमात्र ऐसा सरकारी अस्पताल है जिस पर पूरे राज्य के स्वास्थय सुविधा का भार है। उसके अलावा कोई एक सलीक़े का हॉस्पिटल तक ये पूरे राज्य में नहीं बना पाए हैं। देखिए हम सब लोग उत्तराखंडी हैं।

हमें हमारे प्रदेश के हालात बहुत अच्छी तरह से मालूम हैं। हमें पता है कि हमारी एक एक विधानसभा 400 किमी तक में फ़ैली हुई हैं।। अगर कॉंग्रेस और बीजेपी के लोकल्स यहां पर काम कर रहे हैं तो हम भी लोकल्स ही हैं। शिक्षा और स्वास्थ के मसलों के साथ हम लोगों के बीच जाएंगे और उम्मीद है कि जनता इन सवालों को समझेगी क्योंकि इस समय पूरे उत्तराखंड में बहुत बड़ा स्स्टिम फेल्योर है और सब उसे देख रहे हैं।

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रोहित जोशी – इस समय सत्तारूढ़ बीजेपी से आपकी मूल असहमतियां क्या हैं?


उमा सिसोदिया – देखिए! त्रिवेंद्र सरकार से जो हमारी सबसे बड़ी असहमतियां है वो ये हैं कि उनके शासन काल में 1200 स्कूल बंद हो गए हैं। त्रिवेंद्र जी के शासनकाल में किसी नए अस्पताल का निर्माण नहीं हुआ। यहां तक कि जो पुराने अस्पताल हैं वे भी सही तरह से काम नहीं कर रहे। और सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में तो सरकारी अस्पतालों के हालात और ज़्यादा ख़राब हैं।

ये हमारी सबसे बड़ी असहमतियां हैं। हम उनसे सड़कों के बारे में, या जो दूसरी चीज़ें उनके बारे में ज़्यादा सवाल नहीं कर रहे। हमें मालूम है कि राज्य सरकार के पास उतना ज़्यादा बजट नहीं है लेकिन कम से कम सरकार को उपलब्ध बजट को जनता की स्वास्थ और शिक्षा सेवाओं पर तो लगाना ही चाहिए।

ना सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं हैं ना ही आयुष्मान कार्ड ही लोंगों के बने हैं, निजी अस्पतालों में इलाज़ बहुत महंगा है। ऐसे में ग़रीब आदमी अपने इलाज के लिए कहां जाएगा ? तो त्रिवेंद्र सरकार से असहमति हमारी मुख्य असहमतियां इन्हीं मसलों पर हैं कि आपने ​स्कूल और स्वास्थ सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया।

रोहित जोशी – मेरी ओर से अब आख़िरी सवाल, उत्तराखंड में आंदोलनों का एक बड़ा ट्रेडिशन रहा है। वन आंदोलनों से लेकर उत्तराखंड की नींव रखने वाले राज्य आंदोलन तक। इन आंदोलनों का नेतृत्व स्थानीय राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के हाथों में रहा। ऐसे में आम आदमी पार्टी (aap) क्या इन राजनीतिक शक्तियों के साथ कोई गठबंधन करने के बारे में सोच रही है?

उमा सिसोदिया – नहीं. हमारी किसी भी ऐसी पार्टी से कोई गठबंधन की योजना नहीं है. जिन पार्टियों की तरफ़ आप इशारा कर रहे हैं, वे आंदोलन कारी पार्टियां ज़रूर रही हैं,मसलन यूकेडीए?, लेकिन इनका जो शीर्ष नेतृत्व है वह हमेशा कॉंग्रेस और बीजेपी के हाथों बिका है और जनता भी इस तथ्य को अच्छी तरह से समझती है कि ये लोग आंदोलनकारी ज़रूर रहे और इस पार्टी ने शहादतें भी दी और हमारे उत्तराखंड को एक अलग राज्य भी बनवाया लेकिन इनके शीर्ष नेतृत्व ने जिस तरह से जनता के साथ छलावा किया

आम आदमी पार्टी (aap) कभी इनके साथ हाथ नहीं मिलाएगी। पार्टी अपने दम पर यहां पर चुनाव लड़ेगी और हो सकता है कि जिस तरह हम सोच रहे हैं कि हम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे, उस तरह का ना भी कर पाएं लेकिन यह हमारा पहला चुनाव है, हम अपना एक बहुत अच्छा बेस ज़रूर तैयार करेंगे. इसका मुझे पूरा विश्वास है।

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