झारखंड की राजनीति में दशकों तक अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। हर आंख नम हो गई और लोग दिशोम गुरु को अंतिम बार देखने को उमड़ पड़े।
शाम होते होते उनका पार्थिव शरीर रांची पहुंचा। रांची हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद मौजूद थे। उनके साथ उनके भाई बसंत सोरेन। पत्नी कल्पना सोरेन और कई परिवार वाले वहां पहुंचे। राज्य सरकार के कई मंत्री। विधायक और अफसर भी वहां मौजूद थे। हवाई अड्डे के बाहर झारखंड मुक्ति मोर्चा के हजारों कार्यकर्ता उनके आखिरी दर्शन के लिए पहुंचे। चारों ओर सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी। गुरुजी अमर रहें।
हवाई अड्डे से शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर एक खुले वाहन में ले जाया गया जिसे फूलों से सजाया गया था। इसी गाड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई भी साथ थे। वाहन जब मोरहाबादी स्थित उनके आवास की ओर बढ़ा तो हर चौराहे पर लोग नम आंखों से उन्हें देख रहे थे। पूरा माहौल भावुक था।
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि उनका पार्थिव शरीर कल झारखंड मुक्ति मोर्चा कार्यालय में रखा जाएगा। फिर विधानसभा परिसर में भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर रांची से नेमरा गांव ले जाया जाएगा जो उनका पैतृक स्थान है।
नेमरा गांव में ही मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। गांव के प्रधान जीतलाल टुडू ने बताया कि अंतिम संस्कार की सारी तैयारियां कर ली गई हैं। वहां उनका संस्कार आदिवासी रीति रिवाजों के साथ किया जाएगा। दोपहर तीन बजे बड़का नाला के पास यह कार्यक्रम रखा गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी भी रांची आएंगे। दोनों नेता अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। दिल्ली से उनकी यात्रा की पुष्टि खुद पार्टी ने कर दी है।
गांव हो या शहर हर जगह एक ही बात हो रही है कि दिशोम गुरु अब नहीं रहे लेकिन उनके विचार और उनकी लड़ाई हमेशा याद रखी जाएगी। झारखंड की राजनीति में जो खालीपन आया है उसे भरना आसान नहीं होगा।
