अनदेखी— आपकी आखें भी भर लाएगी यह खबर, मृतक आश्रित की नौकरी मांगते—मांगते बड़ा भाई हो गया मानसिक विक्षिप्त, मां ने तोड़ा दम लेकिन नहीं पिघला वन विभाग का दिल, अब छोटा पुत्र नौकरी के लिए काट रहा है विभाग के चक्कर

Newsdesk Uttranews
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डेस्क— वनविभाग की अनदेखी और उदासीनता के ​चलते एक परिवार 19 साल से वन विभाग से मृतक आश्रित की नौकरी मांग रहा है। सरकार के आदेशों के बावजूद वन विभाग संतुष्ठ नहीं हुआ और परिवार को मृतक आश्रित की नौकरी नहीं मिली। इस दर्दनाक समयावधि में स्वर्गीय विभागीय कर्मी की पत्नी भी स्वर्गवासी हो गई जबकि बड़ा पुत्र नौकरी की उम्मीद में इस कदर दर—दर भटकाया गया कि मानसिक संतुलन खो गया अब परिवार का छोटा पुत्र दिनेश पंत वन विभाग के चक्कर काट रहा है।
विभागीय उदासीनता का यह मामला पिथौरागढ़ जिले का है। यहां गंगोलीहाट के ग्राम हाट डौलिया निवासी तारादत्त पंत नैनीताल में वन विभाग में चौकीदार के पद पर कार्यरत थे। वर्ष1991 में उनका निधन हो गया। उस समय तारा दत्त पंत के सभी बच्चे नाबालिग थे और पत्नी मोहनी देवी ने बच्चों के बालिक होने तक की मोहलत मांगते हुए नौकरी करने में असमर्थता जता दी। इसके बाद बड़ा पुत्र प्रमोद चन्द्र पंत वर्ष 2000 में बालिग हुआ और उसने नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन दरदर की ठोकरें खाने के बाद भी विभाग ने उसे नियुक्ति नहीं दी और यहां तक कह दिया कि पांच वर्ष की अवधि बीत जाने के बाद यह संभव नहीं है । विभाग के चक्कर लगाते लगाते बड़ा पुत्र मानसिक संतुलन खो बैठा जबकि मोहनी देवी भी आश्रितों को नौकरी मिलने की उम्मीद में दुनिया छोड़ गई। इसके बाद छोटे पुत्र दिनेश पंत ने भी नौकनी के लिए आवेदन किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई जबकि 2011में तत्कालीन जिलाधिकारी भी अपनी ओर से सहानुभुतिपूर्वक विचार करने की संस्तुति कर चुके हैं। यहीं नहीं पूर्व कैबीनेट मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत तक भी दिनेश के आवेदन पर अपनी संस्​तुति कर चुके हैं। लेकिन वन विभाग ने इस संबंध में कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। इधर आश्रित दिनेश का कहना है कि वह लगातार प्रयास कर रहे है। जबकि अल्मोड़ा में एक अभ्यर्थी को पिता की मृत्यु के 16 वर्षों बाद सेवायोजित किया गया। उन्होंने पिथौरागढ़ वन प्रभाग के अधिकारियों से मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर उन्हें वन विभाग में सेवायोजित करने की मांग की है। यह बताना जरूरी है कि दिनेश पंत की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है अपने मामा के यहां परिवार ने शरण लेकर जीवन यापन किया है। पिता की मौत को 19 वर्ष बीत गए हैं। लेकिन इतनी लंबी अ​वधि में भी विभाग का दिल नहीं पसीजा।

prakash pant letter
पूर्व कैबीनेट मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत का पत्र