केरल: केरल उच्च न्यायालय ने आयशा की अग्रिम जमानत वाली याचिक पर फैसला सुरक्षित रखा है। कोर्ट का कहना है कि आयशा को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत पूछताछ के लिए पुलिस के सामने पेश होना होगा। इसके साथ ही स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि गिरफ्तारी की स्थिति में आयशा को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। आयशा ने अपने खिलाफ राजद्रोह के मामले में अग्रिम जमानत के लिए केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
दरअसल, पिछले दिनों एक टीवी चैनल डिबेट के दौरान फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना ने कहा कि लक्षद्वीप में अभी तक कोरोना का एक भी केस नहीं था, लेकिन अब हर रोज 100 मामले सामने आ रहे हैं। मैं स्पष्ट तौर पर कह सकती हूं कि केंद्र सरकार ने बायो वेपन के तौर पर प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की तैनाती की है। वह यहां पर अलोकतांत्रिक, जनविरोधी नीतियों को लागू कर रहे हैं, जिससे कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आयशा सुल्ताना के बयान के बाद भाजपा ने इसकी कड़ी आलोचना की और उसके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करवाया। वहीं केंद्रशासित प्रदेश की भाजपा इकाई के कई नेता इस कार्रवाई पर नाराजगी जता चुके हैं। यहां तक कि एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने पार्टी भी छोड़ दी है।
भाजपा की लक्षद्वीप इकाई के अध्यक्ष अब्दुल खादर ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अब्दुल खादर का आरोप है कि उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में कोविड-19 के प्रसार के बारे में झूठी खबर फैलाई थी। साथ ही यह भी कहा कि यह सुल्ताना का राष्ट्रविरोधी कृत्य था, जिसने केंद्र सरकार की ‘देशभक्ति की छवि’ को धूमिल किया। साथ ही उन्होंने इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है। बता दें कि इससे पहले भाजपा ने फिल्म निर्माता के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए द्वीप में विरोध प्रदर्शन किया था।

