26 नवंबर को सोने और चांदी की कीमतें एक बार फिर ऊपर चढ़ गईं। यह पूरा हफ्ता दोनों धातुओं के लिए तेजी वाला साबित हो रहा है, जबकि पिछले सप्ताह भावों में तेज गिरावट दर्ज की गई थी। अचानक आई इस बढ़ोतरी के पीछे कई ऐसी वजहें हैं, जिनका सीधा असर घरेलू बाजार पर दिखाई दे रहा है। भारत में सोने की कीमतें वैश्विक माहौल, आर्थिक उतार-चढ़ाव और रुपये की कमजोरी जैसे कारणों से लगातार प्रभावित हो रही हैं।
सोना और चांदी उन धातुओं में गिनी जाती हैं जो अनिश्चित समय में सबसे सुरक्षित मानी जाती हैं। दुनियाभर में जब हालात बिगड़ते हैं, युद्ध की आशंका बढ़ती है या किसी क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बनता है, तब निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर रुख करते हैं। हाल के दिनों में रूस और यूक्रेन के बीच फिर से तनाव बढ़ा है। इजरायल और ईरान के हालात भी पूरी तरह शांत नहीं हैं। ऐसे माहौल में ग्लोबल मार्केट सोने और चांदी को सुरक्षित ठिकाने की तरह देखता है और उनकी मांग बढ़ने से भारतीय बाजार में भी कीमतें चढ़ जाती हैं।
इसी के साथ मॉनेटरी पॉलिसी का प्रभाव भी कीमतों में दिखता है। भारत का रिजर्व बैंक हो या दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंक, सभी की नीतियां सीधे तौर पर सोने के भाव पर असर डालती हैं। जब महंगाई बढ़ रही होती है या ब्याज दरों को लेकर दिशा स्पष्ट नहीं होती, तब लोग सोने में निवेश को ज्यादा भरोसेमंद विकल्प मानते हैं। यह भरोसा बढ़ता है और उसके साथ-साथ कीमतें भी ऊपर जाती हैं।
एक और बड़ा कारण है विदेशी बाजारों में बढ़ती मांग। अमेरिका, चीन और कई यूरोपीय देशों में सोने की खरीद तेज होने पर इसका असर तुरंत ही दुनिया के दूसरे देशों पर पड़ता है। ग्लोबल गोल्ड रेट बढ़ने पर भारत में भी कीमतें उसी हिसाब से आगे बढ़ जाती हैं। रुपये की डॉलर के मुकाबले कमजोरी भी सोने को महंगा करने वाले कारकों में शामिल है।
कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय तनाव, आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती विदेशी मांग और रुपये के उतार-चढ़ाव ने मिलकर इस हफ्ते सोने और चांदी को फिर से तेजी की राह पर खड़ा कर दिया है। ऐसे में निवेश करने वालों के लिए जरूरी है कि वे बाजार के इन बदलावों को समझकर ही आगे कदम बढ़ाएं।
