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पलायन से गांव खाली हो रहे हैं हुजूर, इस पर भी चर्चा कर लीजिए,आरोप प्रत्यारोप फिर होते रहेंगे सवा लाख से अधिक लोगों ने कर लिया है स्थाई पलायन

Newsdesk Uttranews
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इलेक्सन डेस्क। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पलायन इस राज्य के अस्तित्व पर भारी पड़ने वाला है। 2011 की जनगणना में जब राज्य के अल्मोड़ा और पौड़ी में जनसंख्या में जबरदस्त गिरावट सामने आई तभी इसकी भयावहता की आहट हो गई थी लेकिन सिस्टम के कलपुर्जो की समझ में यह नहीं आया। समय बीतता रहा स्थिति गंभीर होती जा रही है। यहां पलायन की समस्या दिनों-दिन विकराल रूप धारण कर रही है,साल दर साल गांव के गांव वीरान हो रहे हैं।
मीडिया रिर्पोटों के अनुसार सरकारी रिर्पोट मे इसका खुलासा हुआ है कि पिछले दस साल से हर दिन औसतन 33 लोग गांवों से जा रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 3,946 गांव से लगभग 1,18,981 लोगों ने स्थाई रूप से पलायन कर लिया है। यहां लगभग आधे घर खंडहर हैं। वहीं 6338 गांव के तकरीबन 383726 लोग अस्थाई रूप से काम-धंधे और पढ़ाई-लिखाई के फेर में राज्य छोड़ने को मजबूर हुए। सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में हुआ है।
उत्तराखंड में राज्य सरकार ने पिछले दिनों पलायन आयोग गठित किया था। इस आयोग ने 13 जिलों की 7950 ग्राम पंचायतों में सर्वे कराया था। इसके बाद पलायन पर रिपोर्ट तैयार हुई। रिपोर्ट के अनुसार 50प्रतिशत लोगों ने रोजगार, 15 प्रतिशत ने शिक्षा के लिए और 8फीसद ने चिकित्सा के लिए पलायन किया है। राज्य के 734 गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं। पलायन करने वालों में 70 फीसदी लोग गांवों से गए तो वहीं 29फीसद ने शहरों से पलायन किया है।

कुछ पुरानी रिर्पोटों के अनुसार उत्तराखंड के 13 जिलों में 5,31,174 पुरुष और 3,38,588 महिला बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। इनमें ग्रेजुएट पुरुष बेरोजगार 1,08,248 और महिला ग्रेजुएट 1,11,521 हैं। जाने वालों में 42 फीसदी लोगों की उम्र 26 और 35 वर्ष की है। 25 साल से कम आयु के 28 फीसदी लोग गए हैं। यानी 70 फीसदी युवा राज्य से चले गए।

पलायन की भयावह कहानी
राज्य में 734 गांव पूरी तरह खाली हो गये,70 फीसदी गांवों से गए,शहरों से 29 फीसदी पलायन हुआ है। पलायन की वजह में 50 फीसदी ने रोजगार के लिए घर छोड़ा 15 फीसदी ने शिक्षा के लिए व 8 फीसदी ने इलाज कराने के लिए अपना घर छोड़ दिया।