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वयोवृद्ध बाल साहित्यकार शंकर सुल्तानपुरी का निधन

Newsdesk Uttranews
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वयोवृद्ध बाल साहित्यकार शंकर सुल्तानपुरी का निधन
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बंधु कुशावर्ती

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लखनऊ। वयोवृद्ध बाल साहित्यकार शंकर सुलतानपुरी का लखनऊ में निधन का लखनऊ में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और उन्होने सोमवार सुबह अपने निवास में अंतिम सांस ली। सोमवार की सुबह ही फेसबुक पर यह शोकप्रद समाचार आने से इन्दिरानगर स्थित उनके निवास पर लेखक और उनके परिचित-साहित्यिक-जन पहुँचने लगे। लगभग डेढ़ बजे अन्त्येष्टि के लिये उनका पार्थिव शरीर भैंसाकुण्ड स्थित बैकुण्ठ- धाम लाया गया और लगभग 3 बजे विद्युत-शवदाह-गृह में उनकी अन्त्येष्टि हो गयी।शंकरजी की सहधर्मिणी ने उनके अन्त्येष्टि-कर्म किये।
मूलतः सुलतानपुरवासी शंकरजी बाल्यकाल में पिता के निधन के कारण शिक्षिका माँ के साथ इलाहाबाद रहने लगे थे। वहीं विद्यार्थी-काल में वह लिखने लग गये। जल्दी ही उनकी रचनाएँ पत्रों-पत्रिकाओं में छपने के अलावा पुस्तक रूप में भी छपने लग गयीं और उन्होंने लेखक बनने का संकल्प लिया तो इसी के लिये अपना जीवन-समर्पित कर दिया।
१९६६के आसपास शंकर सुलतानपुरी इलाहाबाद से जब लखनऊ आये तो नये मसिजीवी लेखक के रूप कविता,कहानी,उपन्यास तथा बालसाहित्य की विविध विधाओं की बीसेक कृतियाँ उनकी ऐसी पहचान बना चुकी थीं कि वह प्रकाशकों को उनकी माँग पर प्रकाशन-योग्य पाण्डुलिपियाँ लिखकर दे सकते हैं।तब से लखनऊ के ही हो रहे मसिजीवी शंकर सुलतानपुरी।इसी बीच वह दाम्पत्य-जीवन में बँध गये।
सन्१९८०तक कोई ५०० से ऊपर पहुँच चुकी उनकी किताबों की तादाद से समझ लेना चाहिये कि दिल्ली लखनऊ,बनारस,कानपुर व अन्यान्य भी शहरों के ऐसे कम ही प्रकाशक बचे होंगे, जिनके यहाँ से शंकर सुलतानपुरी की एक-दो किताब न छपी हो।इसी दौर में उन्होंने लखनऊ आकाशवणी और दूरदर्शन के लिये भी कहानी,कविता, संस्मरण, रूपक, रेडियो-नाटक बालसाहित्य आदि भी निरन्तर लिखे।
1952 में उनकी पहली रचना बाल सखा के नाम से प्रकाशित हुई। आकाशवाणी में उनके द्वारा लिखित 300 से अधिक नाटकों और कहानियो का प्रसारण किया गया। इसके अलावा दूरदर्शन में उनके नाटक और कहानियों का प्रदर्शन किया गया।