गजब- 14 साल से नहीं हुई वन्य जीवों की गणना, वन विभाग के पास ही नहीं सही आंकड़े

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देहरादून। उत्तराखंड देश-दुनिया में अपनी दुर्लभ वन्य जीव संपदा के लिए मशहूर है, लेकिन हैरत की बात है कि बीते 14 सालों से यहां पाए जाने वाले बाघ, हाथी और बंदरों को छोड़ अन्य जीवों की गणना ही नहीं हो पाई है। इससे पता चलता है कि विभाग को पता ही नहीं कि प्रदेश में वन्य जीवों की आबादी घट रही है या बढ़ रही है।

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उत्तराखंड में वन्य जीवों की गणना नहीं होने से राज्य में पाए जाने वाले दुर्लभ जीवों कस्तूरी मृग, मोनाल, हिम तेंदुआ, भूरा भालू, लाल लोमड़ी, भरल (ब्लू शीप), गिद्ध सहित 20 से अधिक लुप्त प्राय प्रजातियों की संख्या का वन विभाग को भी पता नहीं है। ऐसे में यदि विभाग इनके संरक्षण की कोई कार्ययोजना बनाता भी है तो उसे कैसे धरातल पर उतारा जाएगा, यह बड़ा सवाल उठ रहा है।

मामले पर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, वन विभाग डॉ. समीर सिन्हा का कहना है कि- आमतौर पर हाथी, बाघ जैसे बड़े जानवरों की गणना को आधार मानकर अन्य जीवों की गणना का तुलनात्मक अध्ययन कर लिया जाता है। हालांकि इस बात का भी परीक्षण कराया जा रहा है कि राज्य की आवश्यकता के अनुसार अन्य वन्य जीवों की गणना की जाए। फिलहाल मध्य हिमालय क्षेत्र में गुलदार की गणना का कार्य जारी है।