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Almora-एसएसजे और स्वामी विवेकानन्द योग(Yog) अनुसन्धान विवि के बीच विवेकानन्द के साहित्य, शोध एवं योग पर एमओयू होगा

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा,26 जून 2021 -योग (Yog)विज्ञान विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय एवम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ यौगिक साइंसेज के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का उदघाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री  तीरथ सिंह रावत,स्वामी विवेकानन्द योग संस्थान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो एच आर नागेन्द्रम ,कुलपति प्रो एन एस भंडारी व विभागध्यक्ष व वेबीनार संयोजक डॉ नवीन भट्ट द्वारा किया गया। 

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उदघाटन समारोह में कुलपति प्रो एन एस भंडारी व स्वामी विवेकानन्द योग अनुसन्धान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो एच आर नागेन्द्रम के बीच दोनों स्वामी विवेकानन्द के साहित्य,शोध एवम योग पर एमओयू करने की सहमति बनी।

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 कुलपति प्रो एन एस भंडारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि योग (Yog)विज्ञान विभाग ,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने  मुख्यमंत्री से योग विज्ञान विभाग को योग का सर्वोत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु आवश्यक सुविधाएं व ढांचा हेतु कार्यवाही करने का निवेदन किया।
उन्होंने योग विभाग द्वारा निरंतर समाज हित मे किये जा रहे कार्यो की जानकारी मुख्यमंत्री  को दी।

कार्यक्रम की भूमिका बताते हुए योग (Yog)विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट ने अतिथियों को योग विज्ञान विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यो की जानकारी देते हुए कहा कि योग विज्ञान विभाग द्वारा निरन्तर समाज हित में कार्य हो रहे है।विभाग अनेकों सेमिनारों,कार्यशालाओं,प्रशिक्षण शिविरों,जनजागरण कार्यक्रमों,रक्तदान,स्वच्छता,जल संरक्षण ,पर्यावरण संरक्षण आदि कार्यक्रमों से समाज को लाभान्वित कर रहा है।

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योग (Yog)विज्ञान विभाग का उद्देश्य बताते हुए कहा कि योग विज्ञान विभाग का उद्देश्य गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ ही ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना जो राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकें। 

वेबीनार के संयोजक डॉ नवीन भट्ट ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने अल्मोड़ा को एक वैदिक शिक्षा के केंद्र के रूप में वह विकसित करना चाहते थे।उन्होंने मुख्यमंत्री से योग विज्ञान विभाग को एक सर्वोत्तम केंद्र के रूप में विकसित करने एवं योग को प्राथमिक से उच्च शिक्षा स्तर योग को अनिवार्य करने एवं  योग प्रशिक्षितों को नियुक्ति प्रदान करवाने की मांग की ।

 मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा योग (Yog)विज्ञान विभाग के द्वारा किये जा रहे कार्यों की  प्रसंशा की ।उन्होंने कहा  कि कोरोना काल में योग वरदान साबित हुआ है।उन्होंने कहा कि योग हमारे ऋषि-संतो द्वारा दी गयी अनुपम देन है जिससे मानव कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ेगा।उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से योग विज्ञान विभाग समाज हित व राष्ट्र हित के कार्यों को किया जा रहा है वह मील का पत्थर साबित होगा।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग को समस्त सुविधाएं व ढांचा विकसित किया जाएगा ताकि वह रचनात्मक व समाजहित में अपनी भूमिका और सही तरीके से निर्वहन कर सकें। उन्होंने विभागध्यक्ष व कार्यक्रम के संयोजक डॉ नवीन भट्ट की मांगों पर अपनी सहमति प्रदान करते हुए आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया।

उदघाटन समारोह के मुख्य वक्ता स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व प्रधानमंत्री के योग गुरु प्रो एच आर नागेन्द्रम ने योग की महत्ता पर व्यापक प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि योग के द्वारा व्यक्ति शारीरिक,मानसिक व आध्यत्मिक विकास किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि आज सम्पूर्ण दुनिया ने योग के महत्व को स्वीकार किया है।उन्होंने योग के सभी पहलुओं पर व्यापक प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि योग विज्ञान विभाग,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय के साथ एम ओ यू करने की अपनी सहमति व्यक्त की।व हर प्रकार से सहयोग प्रदान करने की बात की।

उन्होंने योग विज्ञान विभाग के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  किये जा रहे  आयोजन को समाज की आवश्यकता बताते हुए कहा कि योग से ही सारी समस्याओं का समाधान होगा।अंत मे संचालन कर्ता मोनिका बंसल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का द्वितीय सत्र 12:00 से 3:00 बजे तक आयोजित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो0 मधुलता नयाल, विभागाध्यक्ष एवं संयोजिका, मनोविज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा ने की एवं इस सत्र के मुख्य वक्ता  प्रो0 ईश्वर भारद्वाज, डीन एकेडमिक्स, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार रहे।
सत्र की प्रथम वक्त डॉ पद्मा,  निदेशिका रंगिओरा योग, न्यूजीलैंड से थी इन्होंने बताया कि किस तरह हम योग द्वारा वर्तमान समय में कोविड-19 महामारी से फैले डर एवं तनाव को कम कर सकते हैं। तथा उन्होंने रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ ही योग को दैनिक जीवन में अपनाकर वर्तमान परिस्थितियों से बाहर निकल सकते हैं। कार्यक्रम के द्वितीय वक्ता डॉ रजनी नौटियाल, सहायक प्राध्यापिका, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विभाग, हेमवती नन्दन बहुगुणा, केंद्रीय विश्वविद्यालय, गढ़वाल, उत्तराखंड से थी ।
 इस सत्र के तृतीय वक्ता  डॉ प्रद्युम्न सिंह शेखावत, हेड, डिपार्टमेंट ऑफ योग एंड साइंस ऑफ लिविंग, जैन विश्ववभारती इंस्टीट्यूट,लांडलु, राजस्थान से रहे। उन्होंने प्राणायाम एवं ध्यान के द्वारा वर्तमान कोविड 19 की परिस्थिति में मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन की जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान समय में हम जिस सामाजिक दूरी की बात करते हैं जो कि गलत है सामाजिक दूरी के स्थान पर शारीरिक दूरी होनी चाहिए। क्योंकि समाज से अलगाव की स्थिति मनुष्य के लिए भयावह होगी।

  सत्र के चतुर्थ वक्ता डॉ विकास रावत, सह प्राध्यापक, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर, कर्नाटक से उपस्थित थे। उन्होंने वर्तमान कोविड समय में योग साधकों की समाज के प्रति समाज के प्रति जिम्मेदारी का वर्णन करते हुए कहा कि इस समय प्रत्येक योग साधक का कर्तव्य है कि उन्हें महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग को आत्मसात करने की आवश्यकता है तथा तप, स्वाध्याय एवं ईश्वरप्राणिधान के मार्ग को अपनाकर समाज सेवा हेतु समर्पण होना अनिवार्य है। 

 सत्र के अगले वक्ता डॉ रमेश कुमार, सहायक प्राध्यापक, योग विज्ञान विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से थे। उन्होंने कोरोना के बाद होने वाली समस्याओं के समाधान में योगाभ्यास की भूमिका पर प्रकाश डाला, उन्होंने बताया योग को पूर्ण विश्वास के साथ अपने जीवन में अपनाना चाहिए तभी सर्वतोभावेन हम इस परिस्थिति से स्वयं को स्वस्थ्य रख सकते हैं। 
 इसके पश्चात सत्र के मुख्य वक्ता प्रो0 ईश्वर भारद्वाज ने कोविड -19 के परिपेक्ष्य में योग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन विषय पर अपने विचार व्यक्त किये और वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक निरूपण के साथ उन्होंने मन को स्वस्थ्य रखने के तरीके बताए।
 इसके पश्चात इस सत्र की अध्यक्ष प्रो0 मधुलता नयाल ने सभी वक्ताओं के सार रूप निष्कर्ष को बताते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि योग एवं वैदिक जीवन पद्धति को अपनाकर सकारात्मकता के साथ वर्तमान कोविड -19 महामारी से स्वयं को एवं समाज को बचाया जा सकता है।