कानपुर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद दो लोगों की मौत हो गई है। इस पूरी घटना के बाद डॉक्टर अनुष्का तिवारी सवालों के घेरे में हैं। बताया जा रहा है कि अनुष्का खुद को त्वचा रोग विशेषज्ञ बताकर लंबे वक्त से हेयर ट्रांसप्लांट करती आ रही थीं, जबकि उनके पास एमबीबीएस की डिग्री तक नहीं है।
जांच में सामने आया है कि अनुष्का ने सिर्फ बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की पढ़ाई की है और वह खुद को डर्मेटोलॉजिस्ट बताकर न सिर्फ सर्जरी कर रही थीं बल्कि क्लिनिक में कोई ट्रेंड असिस्टेंट भी मौजूद नहीं था। सर्जरी के दौरान जरूरी मेडिकल सुविधा भी नहीं थी और मरीजों को इमरजेंसी हालात में संभालने का कोई इंतजाम तक नहीं था।
इन सबके बीच जैसे ही यह मामला उजागर हुआ तो अनुष्का तिवारी और उनके पति मौके से फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश कर रही है और इस लापरवाही को लेकर मेडिकल समुदाय में भी चिंता जताई जा रही है। क्योंकि कानूनन बीडीएस डॉक्टर न तो हेयर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं और न ही खुद को त्वचा या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ बता सकते हैं।
इस पूरी घटना ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसे गंभीर ऑपरेशन करने की अनुमति किन डॉक्टरों को होती है। इस पर राष्ट्रीय मेडिकल आयोग ने पहले ही वर्ष 2022 में दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें साफ बताया गया है कि सिर्फ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर यानी आरएमपी, जिनके पास सर्जरी की ट्रेनिंग हो, वे ही इस तरह की प्रक्रिया कर सकते हैं।
साथ ही क्लिनिक में इमरजेंसी की स्थिति से निपटने के लिए तमाम सुविधाएं होनी चाहिए। प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए। ऑपरेशन थियेटर में जरूरी मशीनें, दवाएं और एनेस्थीसिया बैकअप भी होना चाहिए। इसके अलावा मरीज की सर्जरी से पहले पूरी मेडिकल जांच और पोस्ट ऑपरेटिव देखरेख भी जरूरी है। लेकिन कानपुर के इस मामले में इन सब नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं और नतीजा ये हुआ कि दो लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।
फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और फरार डॉक्टर को पकड़ने के लिए टीम लगातार दबिश दे रही है। वहीं, सवाल ये भी है कि आखिर ऐसी लापरवाहियों को रोकने के लिए प्रशासन और मेडिकल सिस्टम कितना सजग है।