देशभर में गुस्से का माहौल है, लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर पहलगाम जैसे हमले कब तक होते रहेंगे। मंगलवार को इसी को लेकर दिल्ली में गृह मंत्रालय में बड़ी बैठक हुई। बैठक की अगुवाई गृह सचिव गोविंद मोहन ने की और इसमें बीएसएफ, एनएसजी, असम राइफल्स, एसएसबी और सीआईएसएफ के बड़े अफसर शामिल हुए। ये बैठक जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद बुलाई गई थी, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मंथन किया गया।
इस बीच जम्मू-कश्मीर में भी सुरक्षा एजेंसियों ने एक्शन शुरू कर दिया है। सोमवार को डोडा जिले में पुलिस ने 13 जगहों पर छापेमारी की और आतंकियों से जुड़े लोगों की तलाश की। श्रीनगर में भी पुलिस ने कई इलाकों में छापे मारे। ओवर ग्राउंड वर्कर्स और बैन हो चुके आतंकी संगठनों के मददगारों के घरों की तलाशी ली गई। इस दौरान 63 घरों को खंगाला गया, ताकि सबूत जुटाए जा सकें और किसी नई साजिश से पहले ही उस पर लगाम लगाई जा सके।
22 अप्रैल को पहलगाम की बायसरन घाटी में जो हुआ उसने पूरे देश को झकझोर दिया। सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने पहले लोगों से नाम पूछा, धर्म जाना और फिर हिंदू होने पर गोली चला दी। 26 लोगों की जान चली गई। मारे गए लोगों में ज्यादातर पर्यटक थे, दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय लोग भी थे। हमले की जिम्मेदारी लश्कर से जुड़े संगठन टीआरएफ ने ली है।
इस हमले ने अमरनाथ यात्रा से पहले सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की टेंशन बढ़ा दी है। तीन जुलाई से यात्रा शुरू होनी है, ऐसे में अब एक-एक सुरक्षा इंतजाम पर दोबारा से नजर डाली जा रही है। इस हमले को 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। उस वक्त 47 जवान शहीद हुए थे। अब सवाल यही है कि आगे कैसे रोकी जाए ऐसी घटनाएं और कैसे बचे मासूमों की जान।