7 मई को भारत के 259 शहरों में सायरन बजने वाले हैं। यह फैसला केंद्र सरकार ने जम्मू के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया है। इस दौरान मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी और लोगों को बताएंगे कि ऐसी स्थिति में किस तरह खुद को सुरक्षित रखें। सायरन बजने के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, ये सब समझाने के लिए यह मॉक ड्रिल हो रही है, जो गृह मंत्रालय के आदेश पर की जा रही है। इन सायरन को बजाने का मकसद यह है कि लोग आपात स्थिति में हर वक्त तैयार रहें।
यह सायरन देश के प्रमुख राज्यों जैसे जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत अन्य शहरों में बजाए जाएंगे। यह उन इलाकों में बजाए जाएंगे, जो सिविल डिफेंस डिस्ट्रीक्ट के तहत आते हैं। यह वही प्रक्रिया है, जो पहले भी 1962, 1965 और 1971 में की गई थी, जब आपात स्थिति घोषित की गई थी।
अब सवाल यह भी उठता है कि क्या मोबाइल फोन भी बजेंगे? तो इसका जवाब है हां, मोबाइल भी बज सकते हैं। दरअसल, जब भी कोई युद्ध या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति पैदा होती है, तो इसके बारे में नागरिकों को सचेत करने के लिए ऐसे सायरन की आवाज सुनाई देती है। यह सायरन लगभग 60 सेकंड तक बजते हैं और इसका मकसद यह होता है कि लोग किसी सुरक्षित स्थान की ओर दौड़ें और खतरे से बचें।
भारत में मॉक ड्रिल के दौरान यह देखा जाएगा कि इस बार सायरन की तकनीकी प्रक्रिया क्या होगी। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के सायरन अलग-अलग तकनीकों से काम करते हैं। कई देशों में पारंपरिक हवा से चलने वाले सायरन होते हैं, जो घूमती हुई डिस्क से आवाज निकालते हैं।
वहीं, कुछ देशों में बिजली से चलने वाले सायरन होते हैं, जिनसे आवाज आती है और कुछ देशों में रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए सायरन सीधे मोबाइल फोन पर भी भेजे जाते हैं। अगर भारत में भी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ तो यह नागरिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम होगा।