हरियाणा के पंचकूला में मित्तल परिवार की सामूहिक आत्महत्या की गूंज देहरादून तक पहुंची है। इस परिवार का देहरादून से पुराना नाता रहा है। पुलिस को जब मृतक प्रवीण मित्तल की जेब से जो आधार कार्ड मिला, उसमें पता कौलागढ़, देहरादून का था। इसके बाद पंचकूला पुलिस ने रात को देहरादून पुलिस को इसकी जानकारी दी।
मामले की जांच में सामने आया कि मित्तल परिवार कुछ साल पहले देहरादून के इसी पते पर रहता था। करीब तीन साल यहां रहे और फिर एक साल पहले चंडीगढ़ चले गए। मित्तल परिवार जिस कार में मृत मिला, वह गाड़ी देहरादून के मालदेवता इलाके में रहने वाले गंभीर सिंह नेगी के नाम पर है।
गंभीर सिंह नेगी ने पुलिस को बताया कि उनकी पहचान प्रवीण मित्तल से एक एनजीओ में काम के दौरान हुई थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी। इसी बीच प्रवीण मित्तल ने उनसे कहा कि वह उनके नाम पर कार लेना चाहते हैं। गंभीर सिंह नेगी ने भरोसे में आकर कार फाइनेंस करवा दी। कार उन्हीं के नाम पर ली गई लेकिन चला मित्तल परिवार रहा था।
साल 2021 से मित्तल इस कार को लगातार इस्तेमाल कर रहे थे। गंभीर सिंह नेगी ने बताया कि वह लगातार गूगल पे से किस्तें भरते आ रहे थे। चार साल से ज्यादा हो गए। लेकिन बीते दो महीने से किस्त नहीं आई। उन्होंने कई बार बात की लेकिन मित्तल ने कभी इस बात का जिक्र नहीं किया।
एक साल पहले मित्तल ने उन्हें बताया था कि अब वह चंडीगढ़ में शिफ्ट हो गए हैं। नेगी का कहना है कि उन्हें अब जाकर शक हो रहा है कि शायद दो महीने से किस्तें बाउंस हो रही थीं। उन्हें अब भी यकीन नहीं हो रहा कि प्रवीण मित्तल जैसा इंसान ऐसा कोई कदम उठा सकता है। उन्होंने बताया कि मित्तल एनजीओ चलाते थे और बाकी क्या करते थे, इस बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं।
गंभीर सिंह नेगी इस हादसे से बेहद दुखी हैं। कहते हैं कि मित्तल से उनके पारिवारिक संबंध थे। इसलिए जब उन्होंने मदद मांगी तो उन्होंने कार फाइनेंस कर दी। लेकिन ऐसा अंत होगा, यह कभी सोचा भी नहीं था।